बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
फोनः (कार्यालय) 91-11-25842068, 91-11-25842285/62/70/71 एक्स. 1422 ई-मेलः ddghort[dot]icar[at]gov[dot]in, ddghort[at]gmail[dot]com
समय, दूरी और चाल (Time, Distance समय और लाभ के बीच संबंध क्या है and Speed in Hindi)
किसी व्यक्ति, गाड़ी या वस्तु द्वारा इकाई समय(unit time) में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं इकाई समय (unit time) सेकंड(Second), मिनट(minute) या फिर घंटा(hour) हो सकता है
चाल की परिभाषा (Deffination of Speed in Hindi):
" इकाई समय में किसी वस्तु द्वारा चली गयी दूरी उस वस्तु की चाल कहलाती है।"
चाल = दूरी / समय
➩ समय(Time):
किसी व्यक्ति, गाड़ी या वस्तु द्वारा इकाई चाल (Unit Ditance) में चली गयी दूरी को व्यक्ति, गाड़ी या वस्तु का समय कहते है।"
समय = दूरी/चाल
➩ दूरी(Ditance):
किसी व्यक्ति, गाड़ी या वस्तु की चाल और उस वस्तु द्वारा दूरी को तय करने में लगने वाला समय का गुणनफल वस्तु द्वारा चली गयी दूरी के बराबर होता है।"
दूरी = चाल x समय
➩ समय, दूरी और चाल से सम्बंधित प्रश्न को हल करते समय कुछ ध्यान रखने योग्य बातें (Time and Distance Questions Tips in Hindi )
समय और दूरी (Time and Distance) से संबंधित प्रश्नों को हल करने करते समय हमें दूरी समय और चल की इकाइयों पर ध्यान रखना होगा क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि किसी वस्तु की चल किलोमीटर प्रति घंटा में दे रखी हो तथा उसका समय मिनट या सेकंड में हो सकता है तो सर्वप्रथम समय और दूरी से संबंधित प्रश्नों को हर करने से पूर्व दूरी , समय तथा चाल की इकाइयों को समान कर लें .
समय, दूरी और चाल से सम्बंधित प्रश्न को हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण सूत्र
- दूरी = चाल x समय
- समय = दूरी/चाल
- चाल = दूरी/समय
समय और दूरी से सम्बंधित महवपूर्ण तथ्य :
1. यदि दो गाड़ियां एक ही दिशा में क्रमशः v1 तथा v2 स्पीड से चल रही हों तो गाड़ियों की सापेक्ष गति v1 - v2 होगी।
2. यदि दो गाड़ियां विपरीत दिशा में क्रमशः v1 तथा v2 स्पीड से चल रही हों तो गाड़ियों की सापेक्ष गति v1 + v2 होगी।
3. यदि किसी प्रश्न में किसी वस्तु की चाल किलोमीटर/घंटा में दी हुई हो तो उसे मीटर / सेकंड में बदलने के लिए चाल को 5/18 से गुणा करते हैं।
4. यदि किसी प्रश्न में किसी वस्तु की चाल मीटर/सेकंड में दी हुई हो तो उसे किलोमीटर / घंटा में बदलने के लिए चाल को 18 /5 से गुणा करते हैं।
➩ समय और दूरी (Time and Distance) में किमी / घंटा को मी/से तथा मी/से को किमी / घंटा में निम्न प्रकार से प्रवर्तित करते हैं -
इस प्रकार यदि किलोमीटर प्रति घंटा को मीटर प्रति सेकंड में परिवर्तित करना हो तो 5/18 से गुणा किया जाता है एवं यदि मीटर प्रति सेकंड को किलोमीटर प्रति घंटा में परिवर्तित करना हो तो 18/5 से गुणा किया जाता है
समय और दूरी से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन :
➩ औसत गति का सूत्र (Formula):
➩ औसत चाल
औसत चाल : यदि विभिन्न चालों द्वारा पूरी यात्रा में तय की गयी कुल दूरी को तथा उन दूरियों को तय करने में लगे समय से भाग देने पर औसत चाल प्राप्त होती है।
औसत चाल = कुल दूरी/ कुल समय
यदि कोई गाणी दो विभिन्न चालों a किमी /घ तथा b किमी /घ से दो सामान दूरियां तय करें तो उस गाङी की औसत चाल = 2ab/ a + b होगी।
नोट: औसत चाल और औसत गति केवल दो अलग अलग शब्द हैं जिनका अर्थ एक ही होता है बहुत बार विद्यार्थियों को औसत चाल और औसत गति को समझने में Confusion होने लगता है इसलिए हमने यहाँ दोनों की परिभाषा यहाँ पर दी है ।
समय और लाभ के बीच संबंध क्या है
विज़न
पोषण, पारिस्थितिकी और आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परिवेश में बागवानी के सर्वांगीण एवं त्वरित विकास का दायित्व बागवानी संभाग को सौंपा गया है।
मिशन
बागवानी में प्रौद्योगिकी आधारित विकास
लक्ष्य
बागवानी में राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का नियोजन, सहयोग और निगरानी के साथ इस क्षेत्र में ज्ञान रिपोजटिरी की तरह कार्य करना।
संगठनात्मक ढांचा
बागवानी संभाग का मुख्यालय कृषि अनुसंधान भवन-।।, पूसा कैम्पस, नई दिल्ली में स्थित है। इस संभाग में दो कमोडिटी/सबजेक्ट विशिष्ट तकनीकी विभाग (बागवानी । और ।। के अलावा) और प्रशासन विंग, संस्थान प्रशासन-V विभाग है। उपमहानिदेशक (बागवानी) के नेतृत्व में कार्यरत इस संभाग में दो सहायक महानिदेशक, दो प्रधान वैज्ञानिक और एक उपसचिव (बागवानी) भी शामिल हैं। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग 10 केन्द्रीय संस्थानों, 6 निदेशालयों, 7 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 13 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं और 6 नेटवर्क प्रायोजनाओं/प्रसार कार्यक्रमों के जरिये भारत में बागवानी अनुसंधान पर कार्य कर रहा है।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
बागवानी (फलों में नट, फल, आलू सहित सब्जियों, कंदीय फसलें, मशरूम, कट फ्लावर समेत शोभाकारी पौधे, मसाले, रोपण फसलें और औषधीय एवम सगंधीय पौधे) का देश के कई राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और कृषि जीडीपी में इसका योगदान 30.4 प्रतिशत है। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग इस प्रौद्योगिकी आधारित विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। आनुवंशिक संसाधन बढ़ाना और उनका उपयोग, उत्पादन दक्षता बढ़ाना और उत्पादन हानि को पर्यावरण हितैषी तरीकों से कम करना आदि इस क्षेत्र के अनुसंधान की प्राथमिकता है।
- आनुवंशिक संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, बढ़ोतरी, जैव संसाधनों का मूल्यांकन और श्रेष्ठ गुणों वाली, उच्च उत्पादक, कीट और रोग सहिष्णु एवं अजैविक दबावों को सहने में सक्षम उन्नत किस्मों का विकास।
- उत्पादकता बढाने हेतु अच्छी किस्मों के लिए सुधरी प्रौद्योगिकियों का विकास जो जैविक और अजैविक दबावों की सहिष्णु होने के साथ ही स्वाद, ताजगी, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने जैसी बाजार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
- विभिन्न बागवानी फसलों के लिए स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास द्वारा उत्पादन, गुणवत्ता की विविधता को कम करना, फसल हानि को कम करने के साथ बाजार गुणों में सुधार करना।
- पोषक तत्वों और जल के सही उपयोग की पद्धति विकसित करना और नई नैदानिक तकनीकों की मदद से कीट और रोगों के प्रभाव को कम करना।
- स्थानीय पारिस्थितिकी और उत्पादन पद्धति के बीच संबंध को समझकर जैवविविधता के संरक्षण और संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की पद्धतियों का विकास करना।
- ऐसी उत्पादन पद्धति का विकास करना जिसमें कम अपशिष्ट निकले और अपशिष्ट के अधिकतम पुनर्उपयोग को बढ़ावा दे।
- अधिक लाभ के लिए फलों, सब्जियों, फूलों की ताजगी को लम्बे समय तक बनाये रखना, उत्पाद विविधता और मूल्य संवर्धन।
- समुदाय विशेष की आवश्यकता को समझकर संसाधनों के प्रभावी उपयोग और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए क्षमता निर्माण करना।
उपलब्धियां
भारतीय बागवानी की झलक
- फलों और सब्जियों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश।
- आम, केला, नारियल, काजू, पपीता, अनार आदि का शीर्ष उत्पादक देश।
- मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश।
- अंगूर, केला, कसावा, मटर, पपीता आदि की उत्पादकता में प्रथम स्थान
- ताजा फलों और सब्जियों के निर्यात में मूल्य के आधार पर 14 प्रतिशत और प्रसंस्करित फलों और सब्जियों में 16.27 प्रतिशत वृद्धि दर।
- बागवानी पर समुचित ध्यान केंद्रित करने से उत्पादन और निर्यात बढ़ा। बागवानी उत्पादों में 7 गुणा वृद्धि से पोषण सुरक्षा और रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई।
- कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधन जिसमें फलों की 9240, सब्जी और कंदीय फसलों की 25,400, रोपण फसलों और मसालों की 25,800, औषधीय और सगंधीय पौधों की 6,250, सजावटी पौधों की 5300 और मशरूम की 984 प्रविष्टियां शामिल हैं।
- आम, केला, नीबू वर्गीय फलों आदि जैसी कई बागवानी फसलों के उपलब्ध जर्मप्लाज्म का आणविक लक्षण वर्णन किया गया।
- 1,596 उच्च उत्पादक किस्मों और बागवानी फसलों (फल-134, सब्जियां-485, सजावटी पौधे-115, रोपण फसलें और मसाले-467, औषधीय और सगंधीय पौधे-50 और मशरूम-5) के संकर विकसित किये गये। इसके परिणास्वरूप केला, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
- सेब, आम, अंगूर, केला, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनन्नास, चीकू, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, फूलगोभी आदि की निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण किस्मों का विकास किया गया।
भविष्य की रूपरेखा:
कृषि में वांछित विकास के लिए बागवानी क्षेत्र को प्रमुख भूमिका निभाने के लिए निम्न अनुसंधान प्राथमिकता के क्षेत्रों पर केंद्रित करना होगा:
- विभिन्न पर्यावरण परिस्थितियों में उगाये जाने वाले फलों और सब्जियों के जीन और एलील आधारित परीक्षण
- पोषण डायनेमिक्स एंड इंटरएक्शन
- जैवऊर्जा और ठोस अपशिष्ट उपयोग
- नारियल, आम, केला और पलवल का जीनोमिक्स
- बागवानी फसलों में उत्पादकता और गुणता सुधार के लिए कीट परागणकर्ता
- अपारम्परिक क्षेत्रों के लिए बागवानी किस्मों का विकास
- फल और सब्जी उत्पादन में एरोपोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स तकनीकों का मानकीकरण
- फलों और सब्जियों में पोषण गुणता का अध्ययन
- बागवानी फसलों में कटाई उपरांत तकनीकी और मूल्य वर्धन
- फलों और सब्जियों के लंबे भंडारण और परिवहन के लिए संशोधित पैकेजिंग
संपर्क सूत्र
डा. ए. के. सिंह, , उप महानिदेशक (बागवानी)
बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
फोनः (कार्यालय) 91-11-25842068, 91-11-25842285/62/70/71 एक्स. 1422 ई-मेलः ddghort[dot]icar[at]gov[dot]in, ddghort[at]gmail[dot]com
शारीरिक स्वास्थ्य
हालांकि हमारे पेशेवर जीवन में काफी अड़चनें आ गई हैं और हम में से अधिकांश लोग घरों से काम कर रहे हैं, इसके बावजूद यह जरूरी है कि हम अपने लिए एक रूटीन तय करें और उस पर कायम रहें। दिनचर्या सुनिश्चित हो तो इससे तनाव घटता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। आपके रुटीन में बच्चों को उनकी पढ़ाई में मदद करना, घर से ऑफिस के काम पूरे करना, खाना बनाना, घर के दूसरे काम करना और आसन, व्यायाम, प्रणायाम आदि स्वास्थ्य संबंधी उपाय भी शामिल हों तो बेहतर है।
- स्वास्थ्यकर भोजन करें और खाने का समय निश्चित रखें
स्वास्थ्यकर भोजन बहुत महत्वपूर्ण है। चीनी युक्त पेय पदार्थों की बजाय अधिक से अधिक पानी का सेवन करें, अपने भोजन में सोडियम और नमक का उपयोग घटाएं। भोजन कम घी, तेल और बटर से पकाएं। ज्यादा फैट वाले मीट की बजाय सीफूड खाएं, ज्यादा से ज्यादा सब्जी और फल खाएं। घर पर रहने की वजह से आपके खान-पान पर भी असर पड़ सकता है। शोध बताते हैं कि अनियमित और असमय भोजन करने से आपके स्वास्थ्य पर समय और लाभ के बीच संबंध क्या है नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। घर पर रहते हुए, आपको सलाह दी जाती है कि अपने भोजन की नियमितता बनाए रखें।
नियमित रूप से आप जितना सोते थे, उसे जरूर पूरा करने की कोशिश करें क्योंकि पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है। हर रोज के लिए सोने का एक सामान्य समय और उठने का समय तय रखें। इससे आप बेहतर रूप से नींद पूरी कर पाएंगे और सुबह उठते हुए तरो-ताजा महसूस करेंगे। साक्ष्य बताते हैं कि जो लोग नींद पूरी नहीं करते उनको ज्यादा मानसिक और शारीरिक समस्याएं होती हैं। नींद की कमी से आपकी मौजूदा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। अगर आप रात को पर्याप्त (वयस्कों के लिए 7 से 9 घंटे) नींद पूरी करते हैं तो इससे आपकी सीखने की क्षमता, स्मृति, मूड और हृदय का स्वास्थ्य बेहतर होगा और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर रहेगी।
इन दिनों आप घरों में जरूर हैं, लेकिन सक्रिय रहना और शरीरिक गतिविधियों को जारी रखना बहुत जरूरी है। व्यायाम और योग से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बेहतर हो सकता है। अगर आपके इलाके में इस पर समय और लाभ के बीच संबंध क्या है कोई प्रतिबंध नहीं हो तो आप बाहर निकल कर टहल लें। अगर बाहर जाने की इजाजत नहीं है तो भी कई व्यायाम हैं जो आप आसानी से घर के अंदर कर सकते हैं, जैसे एक ही जगह पर खड़े-खड़े उछलना, दंड बैठक या पुश-अप। या फिर घर के अंदर एक जगह पर बैठे रहने की बजाय कोशिश कीजिए कि कुछ-कुछ देर अंदर सीमित जगह पर ही टहलते रहें। आप चाहें तो अपने व्यायाम में थोड़ा वजन उठाने को भी शामिल कर सकते हैं। इसके लिए अगर डंबल आदि नहीं हैं तो पानी की बोतल या केन का उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह योग तो छोटे कमरे में भी किया जा सकता है।
- घर से काम करते हुए उत्पादकता बढ़ाएं
बहुत से लोग इन दिनों घरों से दफ्तर का काम कर रहे हैं। अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य ऐसा कर रहा है तो नीचे दिए कुछ नुस्खे अपना सकता है। इससे इस नए माहौल में काम करते हुए वह अपनी उत्पादकता बढ़ा सकता है-
5.1 घर के अंदर ही एक कार्यस्थल बना लें
घर में अपनी सीमित जगह के अंदर ही अपने काम करने का स्थान तय कर लें। यह चाहे खाली पड़ा गेस्ट रूम हो या फिर आपके डिनर टेबल का ही एक कोना हो। इससे आपको ऑफिस में या काम पर होने का एहसास होगा। साथ ही घर और दफ्तर के काम का फर्क भी बना रहेगा। अगर इस जगह पर कुछ प्राकृतिक रोशनी, ताजी हवा, एक-दो पौधे या बाहर का नजारा दिखे तो इससे आपका मूड बेहतर बना रहेगा और आपकी रचनात्मकता और उत्पादकता बनी रहेगी।
5.2 चहल-पहल करें
काम करते हुए भी यह सुनिश्चित करें कि हर घंटे कम से कम एक-दो मिनट के लिए भी उठ कर खड़े हों जाएं। लंबे समय तक बैठे रहने से आपके शरीर का मेटाबोलिज्म घट सकता है, जिसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होगा। कुछ मिनट के लिए खड़े रहने, स्ट्रेचिंग करने, टहलने से काम पर आपका ध्यान और बढ़ेगा।
5.3 काम के अतिरिक्त भी समय उपलब्ध रखें
अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना नहीं भूलें, जो किताब महीनों से आल्मारी में पड़ी है, उसे पढ़ने का समय निकालें। खाना बनाने, साफ-सफाई करने और व्यायाम करने का समय निकालें। आप रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ साप्ताहिक वीडियो चैट का समय भी तय कर सकते हैं।
6.नई हॉबी आजमाएं
तात्कालिक समस्या के बारे में ही सोचते रहने की बजाय कुछ नया आजमाएं! कोई नई हेल्दी चीज पकाएं। किसी नई आर्ट में हाथ आजमाएं, जो तनाव घटाने, रचनात्मकता बढ़ाने, चिंता व अवसाद दूर करने और बुजुर्गों में स्मृति बनाए रखने में प्रभावी पाई गई हैं।
कुछ उपयोगी सामग्री:
- Harvard T.H. Chan School of Public Health: The Nutrition Source
- National Institute of Nutrition: Nutrition Information Communication and Education (NICE) Portal
- Harvard Health Publishing: Importance of Sleep : Six reasons not to scrimp on sleep
- Human Spaces: The Global Impact of Biophilic Design in the Workplace
COVID-19 Dashboard
Leia em Português | Leer en Español | हिंदी में पढ़े
Vaccines: Frequently Asked Questions and Resources about Vaccines
FAQs: Frequently Asked Questions about COVID-19
Mythbusters: False information about COVID-19 with facts debunking these myths
Infographics and Resources: Infographics and reliable sources for information on COVID-19
Social Media Tips: How to use social media responsibly during COVID-19
Health & Well-being: Tips to manage stress and promote Physical, Mental and Social Well-being during COVID-19
समय और लाभ के बीच संबंध क्या है
विज़न
पोषण, पारिस्थितिकी और आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परिवेश में बागवानी के सर्वांगीण एवं त्वरित विकास का दायित्व बागवानी संभाग को सौंपा गया है।
मिशन
बागवानी में प्रौद्योगिकी आधारित विकास
लक्ष्य
बागवानी में राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का नियोजन, सहयोग और निगरानी के साथ इस क्षेत्र में ज्ञान रिपोजटिरी की तरह कार्य करना।
संगठनात्मक ढांचा
बागवानी संभाग का मुख्यालय कृषि अनुसंधान भवन-।।, पूसा कैम्पस, नई दिल्ली में स्थित है। इस संभाग में दो कमोडिटी/सबजेक्ट विशिष्ट तकनीकी विभाग (बागवानी । और ।। के अलावा) और प्रशासन विंग, संस्थान प्रशासन-V विभाग है। उपमहानिदेशक (बागवानी) के नेतृत्व में कार्यरत इस संभाग में दो सहायक महानिदेशक, दो प्रधान वैज्ञानिक और एक उपसचिव (बागवानी) भी शामिल हैं। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग 10 केन्द्रीय संस्थानों, 6 निदेशालयों, 7 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 13 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं और 6 नेटवर्क प्रायोजनाओं/प्रसार कार्यक्रमों के जरिये भारत में बागवानी अनुसंधान पर कार्य कर रहा है।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
बागवानी (फलों में नट, फल, आलू सहित सब्जियों, कंदीय फसलें, मशरूम, कट फ्लावर समेत शोभाकारी पौधे, मसाले, रोपण फसलें और औषधीय एवम सगंधीय पौधे) का देश के कई राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और कृषि जीडीपी में इसका योगदान 30.4 प्रतिशत है। भा.कृ.अनु.प. का बागवानी संभाग इस प्रौद्योगिकी आधारित विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। आनुवंशिक संसाधन बढ़ाना और उनका उपयोग, उत्पादन दक्षता बढ़ाना और उत्पादन हानि को पर्यावरण हितैषी तरीकों से कम करना आदि इस क्षेत्र के अनुसंधान की प्राथमिकता है।
- आनुवंशिक संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, बढ़ोतरी, जैव संसाधनों का मूल्यांकन और श्रेष्ठ गुणों वाली, उच्च उत्पादक, कीट और रोग सहिष्णु एवं अजैविक दबावों को सहने में सक्षम उन्नत किस्मों का विकास।
- उत्पादकता बढाने हेतु अच्छी किस्मों के लिए सुधरी प्रौद्योगिकियों का विकास जो जैविक और अजैविक दबावों की सहिष्णु होने के साथ ही स्वाद, ताजगी, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने जैसी बाजार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
- विभिन्न बागवानी फसलों के लिए स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास द्वारा उत्पादन, गुणवत्ता की विविधता को कम करना, फसल हानि को कम करने के साथ बाजार गुणों में सुधार करना।
- पोषक तत्वों और जल के सही उपयोग की पद्धति विकसित करना और नई नैदानिक तकनीकों की मदद से कीट और रोगों के प्रभाव को कम करना।
- स्थानीय पारिस्थितिकी और उत्पादन पद्धति के बीच संबंध को समझकर जैवविविधता के संरक्षण और संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की पद्धतियों का विकास करना।
- ऐसी उत्पादन पद्धति का विकास करना जिसमें कम अपशिष्ट निकले और अपशिष्ट के अधिकतम पुनर्उपयोग को बढ़ावा दे।
- अधिक लाभ के लिए फलों, सब्जियों, फूलों की ताजगी को लम्बे समय तक बनाये रखना, उत्पाद विविधता और मूल्य संवर्धन।
- समुदाय विशेष की आवश्यकता को समझकर संसाधनों के प्रभावी उपयोग और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए क्षमता निर्माण करना।
उपलब्धियां
भारतीय बागवानी की झलक
- फलों और सब्जियों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश।
- आम, केला, नारियल, काजू, पपीता, अनार आदि का शीर्ष उत्पादक देश।
- मसालों का सबसे समय और लाभ के बीच संबंध क्या है बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश।
- अंगूर, केला, कसावा, मटर, पपीता आदि की उत्पादकता में प्रथम स्थान
- ताजा फलों और सब्जियों के निर्यात में मूल्य के आधार पर 14 प्रतिशत और प्रसंस्करित फलों और सब्जियों में 16.27 प्रतिशत वृद्धि दर।
- बागवानी पर समुचित ध्यान केंद्रित करने से उत्पादन और निर्यात बढ़ा। बागवानी उत्पादों में 7 गुणा वृद्धि से पोषण सुरक्षा और रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई।
- कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधन जिसमें फलों की 9240, सब्जी और कंदीय फसलों की 25,400, रोपण फसलों और मसालों की 25,800, औषधीय और सगंधीय पौधों की 6,250, सजावटी पौधों की 5300 और मशरूम की 984 प्रविष्टियां शामिल हैं।
- आम, केला, नीबू वर्गीय फलों आदि जैसी कई बागवानी फसलों के उपलब्ध जर्मप्लाज्म का आणविक लक्षण वर्णन किया गया।
- 1,596 उच्च उत्पादक किस्मों और बागवानी फसलों (फल-134, सब्जियां-485, सजावटी पौधे-115, रोपण फसलें और मसाले-467, औषधीय और सगंधीय पौधे-50 और मशरूम-5) के संकर विकसित किये गये। इसके परिणास्वरूप केला, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
- सेब, आम, अंगूर, केला, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनन्नास, चीकू, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, फूलगोभी आदि की निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण किस्मों का विकास किया गया।
भविष्य की रूपरेखा:
कृषि में वांछित विकास के लिए बागवानी क्षेत्र को प्रमुख भूमिका निभाने के लिए निम्न अनुसंधान प्राथमिकता के क्षेत्रों पर केंद्रित करना होगा:
- विभिन्न पर्यावरण परिस्थितियों में उगाये जाने वाले फलों और सब्जियों के जीन और एलील आधारित परीक्षण
- पोषण डायनेमिक्स एंड इंटरएक्शन
- जैवऊर्जा और ठोस अपशिष्ट उपयोग
- नारियल, आम, केला और पलवल का जीनोमिक्स
- बागवानी फसलों में उत्पादकता और गुणता सुधार के लिए कीट परागणकर्ता
- अपारम्परिक क्षेत्रों के लिए बागवानी किस्मों का विकास
- फल और सब्जी उत्पादन में एरोपोनिक्स और हाइड्रोपोनिक्स तकनीकों का मानकीकरण
- फलों और सब्जियों में पोषण गुणता का अध्ययन
- बागवानी फसलों में कटाई उपरांत तकनीकी और मूल्य वर्धन
- फलों और सब्जियों के लंबे भंडारण और परिवहन के लिए संशोधित पैकेजिंग
संपर्क सूत्र
डा. ए. के. सिंह, , उप महानिदेशक (बागवानी)
बागवानी संभाग, कृषि अनुसंधान भवन - II, नई दिल्ली - 110 012 भारत
फोनः (कार्यालय) 91-11-25842068, 91-11-25842285/62/70/71 एक्स. 1422 ई-मेलः ddghort[dot]icar[at]gov[dot]in, ddghort[at]gmail[dot]com
अब आपकी लाडली बिटिया के खाते में आएंगे पूरे 65 लाख रुपये, बस करना होगा ये छोटा सा काम
अगर आप अपने बिटिया के भविष्य को बेहतर बनाना चाहते हैं तो इस बार अपने लाडली को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक खास उपहार दे सकते हैं। इस योजना में थोड़े पैसे के निवेश पर आप लाखों रुपये अपने बेटी के लिए दे सकते हैं। इस योजना में निवेश करने पर आपके बेटी को कभी भी पैसों की दिक्कत नहीं आएगी। साथ ही आपको भी टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। यह सरकारी योजना और कोई नहीं बल्कि सुकन्या समृद्धि योजना है, जिसमें 400 रुपये के बचत के साथ मैच्योरिटी पर 65 लाख की रकम मिल सकती है।
क्या है यह योजना
Sukanya Samriddhi Yojana एक लंबी अवधि तक निवेश की पेशकश करती है। यह योजना समय- समय पर आपके बेटी के पढ़ाई के लिए पैसे भी देती है। साथ ही मैच्योरिटी पूरा होने पर या शादी होने के समय यह एक बड़ा लाभ दे सकती है। यह बिटिया के 21 साल की उम्र होने पर मैच्योरिटी लाभ देती है। इसमें 7.6 फीसद का रिटर्न भी दिया जाता है। अगर आप इस योजना को ओपेन करना चाहते हैं तो पोस्ट ऑफिस के तहत इस योजना को खोल सकते हैं।
क्या है इस योजना का नियम
यह एक फेमस स्कीम है, जो 10 साल तक की बेटी का सुकन्या समृद्धि योजना में अकाउंट खोलने की अनुमति देता है। इसमें न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक सालाना जमा करने की अनुमति है। यह स्कीम 21 साल की बेटी की उम्र होने पर मैच्योर हो जाती है। हालाकि इसे बेटी के 18 साल पूरा होने पर लॉक कर दिया जाता है, यानी कि वह इस स्कीम में निवेश की गई रकम का 50 प्रतिशत हिस्सा निकाल सकती है। जिसका उपयोग वह अपनी शिक्षा के लिए कर सकती है। जबकि पूरी राशि 21 साल की उम्र में ही निकाली जा सकती है।
एक परिवार के कितने बेटी को मिलता है लाभ
इस स्कीम के तहत अधिकतम 2 बेटियों को लाभ दिया जाता है, लेकिन अगर किसी परिवार में जुड़वा बेटी है तो समय और लाभ के बीच संबंध क्या है 3 बेटियों को इस स्कीम के तहत लाभ मिलेगा। इसमें केवल 15 साल तक ही पैसा जमा करना होता है। आप पहले से ही मैच्योरिटी पर कितने रकम चाहते हैं, यह सोचकर निवेश कर सकते हैं और उसी आधार पर निवेश शुरु कर सकते हैं।
निवेश का क्या है नियम
अगर आपकी बेटी 10 साल की है और आपने निवेश अभी शुरु किया है तो 11 साल तक ही निवेश का विकल्प आपके पास होगा। वहीं 5 साल की बेटी है और तो आप 16 साल तक निवेश कर पाएंगे। जबकि आपकी बेटी आज 2021 में 1 साल की है और निवेश शुरू किया गया है तो 2042 में योजना परिपक्व होगी।
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