One Currency Card

कार्ड की व्यवस्था करना जो न केवल उचित मूल्य पर हो बल्कि विश्व भर में स्वीकार्य भी हो। जो स्मार्ट यात्री होते हैं वो फोरेक्स मनी कार्ड का चयन करते हैं क्यूंकी इसके अनेक लाभ होते हैं जिसमें न्यूनतम विनिमय दर, प्रयोग में सुविधा व सुरक्षा शामिल होते हैं। यदि आप भी अंतर्राष्ट्रीय ट्रेवल कार्ड की खोज में हैं तब हमारे पास आपके लिए एक सर्वश्रेष्ठ हल है। इससे कोई अंतर नहीं होता कि आप एक देश में यात्रा कर रहे हैं या एक से अधिक देश में, आपको विदेशी करेंसी के कनवर्ज़न शुल्क को अपनी लागत से बढ्ने से रोकना होगा। इसमें थॉमस कुक आपकी मदद करते हैं और एक अनोखा ट्रेवल कार्ड का सुझाव देते हैं जो है- वन करेंसी कार्ड- इस कार्ड में आप अमरीकी डॉलर के रूप में करेंसी लोड करवा सकते हैं जिसे विभिन्न देशों में प्रयोग किया जा सकता है। मूल्य प्रभावित भारतीय यात्री के रूप में हम आपको इसके रूप में सबसे अच्छी डील देते हैं। तब आप सस्ती दर पर विदेशी मुद्रा समय क्या है विदेशी मुद्रा समय क्या है यही ट्रेवल प्रीपेड कार्ड लेने में हिचक क्यूँ रहे हैं? यह अंतर्राष्ट्रीय ट्रेवल कार्ड आपको न केवल कनवर्ज़न शुल्क से मुक्ति दिलवाता है बल्कि आपके धन को भी सुरक्शित करने का वादा करता है।

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चिंता मुक्त यात्रा: नकदी का साथ परेशानी कि मार: अगर आप अपने साथ नकदी लेकर चलते हैं तो पूरी यात्रा में आपको इसकी सुरक्षा की चिंता लगी रह सकती है। इसलिए एक सरल और सुविधाजनक ट्रेवलर मनी कार्ड अपने पास रखें। थॉमस कुक का वन करेंसी कार्ड एक चिप और पिन के माध्यम से आपकी करेंसी को सुरक्शित रखकर आपको चोरी और धोखे जैसी दुर्घटनाओं से चिंतामुक्त यात्रा का तोहफा देता है। किसी प्राकार की एमर्जेंसी या प्रश्न होने आप 24*7 उपलब्ध उपभोक्ता सहायक सेवा की मदद भी ले सकते हैं।

विदेशी मुद्रा समय क्या है सुविधाजनक पहुँच: आपके विदेश यात्रा को और अधिक सुखमय बनाने के लिए हमने मास्टर कार्ड के साथ साझेदारी करी है जिससे उनके 2.2 लाख एटीएम और 35.2 लाख व्यापारिक संस्थान पर इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस विशेषता के कारण विश्व भर के यात्रियों की यह कार्ड पहली पसंद बन गया है। यही नहीं, यह कार्ड 5 वर्ष तक के लिए वैध माना जाता है। तो यदि एक बार के ट्रिप में आपकी अगर मुद्रा बच भी जाती है तो आप इसे दूसरी विदेश यात्रा पर खर्च कर सकते हैं।

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जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा

भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।

बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक आठ जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान देश की आईएमएफ की रिजर्व पोजिशन 49 मिलियन डॉलर घटकर 4.966 बिलियन डॉलर रह गई है। एक जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान यह भंडार 5.008 अरब डॉलर कम होकर 588.314 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है जब भारतीय रुपया कमजोर होकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रुपया फिलहाल फिसलते हुए डॉलर के मुकाबले लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के पास पहुंच गया है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की खबरों के बाद यह जान लेना अहम हो जाता है कि आखिर यह विदेशी मुद्रा भंडार है क्या? अगर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो रही तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ने वाला है? दरअसल, भारत की बात करें तो हमारे देश का विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रखी गई धनराशि और परिसंपत्तियां हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिजर्व ट्रेंच शामिल होती हैं। अगर देश को जरूरत होती है तो वह विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर अपने विदेशी ऋण का भुगतान कर सकता है।

देश में विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने का असर सबसे पहला असर रुपये की मजबूती पर पड़ता है, जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है रुपये की कीमत कम होती जाती है। हमने हाल के दिनों में देखा है कि रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है। शुक्रवार को भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरकर 79.72 रुपये प्रति डॉलर रह गई है।

आपको बता दें कि देश में जैसे-जैसे रुपये की कीमत कम होती जाती है देश का आयात मूल्य बढ़ने लगता है और निर्यात मूल्य घटने लगता है। ऐसी स्थिति में देश का व्यापार घाटा बढ़ने लगता है। हमारा देश बीते कुछ महीनों से इस स्थिति का सामना कर रहा है। बीते जून महीने में व्यापार घाटा बढ़कर अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 25.6 अरब डॉलर हो गया है।

व्यापार घाटा को कम करने की कवायद के तहत ही रिजर्व बैंक ने बीते सोमवार (11 जुलाई) को विदेश व्यापार रुपये में करने की भी सुविधा दे दी है। इसका इस्तेमाल कर वर्तमान परिस्थितियों में रूस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ व्यापार किया जा सकता है, जिससे रुपये को थोड़ी राहत मिल सकती है। आपको बता दें कि भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है और रूस तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अगर दोनों देशों के बीच रुपये में कारोबार शुरू होता है तो इससे रुपये को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलेगी।

देश में जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है रुपया मजबूत होता जाता है। इससे देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता जाता और रुपये की कीमत में स्थिरता बनी रहती है। विदेशी रुपया भंडार बढ़ने से रुपये में आई मजबूती का फायदा विदेशों में निवेश करने वाले कारोबारियों पर भी पड़ता है। ऐसा होने से उन्हें अपनी मुद्रा का कम से कम निवेश करना पड़ता है।

Transforming India: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार भारत के पास

देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।

करीब 634 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार

साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ। तत्पश्चात 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा। यानि 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर के आंकड़े से ऊपर निकल कर 633.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

32.6 प्रतिशत की वृद्धि

इस अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी आधार पर नवंबर 2021 तक चीन, जापान और विदेशी मुद्रा समय क्या है स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा विदेशी मुद्रा समय क्या है है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।

भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार

दरअसल, वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला। सबसे खास बात यह रही कि ये उपलब्धि भारत ने कोविड संकट से लड़ते हुए हासिल की। यानि जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है। भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर रहा और इस लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में भारत ने नॉन बासमती राइस, गेहूं, समुद्री उत्पाद, मसाले और चीनी जैसी चीजों ने जमकर एक्सपोर्ट किया। उसके बाद पेट्रोलियम प्रोडक्ट यूएई निर्यात किए गए। साथ ही अन्य देशों में रत्न और आभूषणों का भी ज्यादा निर्यात किया गया। केवल इनता ही नहीं भारत ने इस बीच बांग्लादेश को ऑर्गेनिक और नॉन ऑर्गेनिक केमिकल निर्यात किया और ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात नीदरलैंड को किया। इससे देश के विदेशी मुद्रा समय क्या है विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि में काफी मदद मिली। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बहुत से फायदे होते हैं।

रुपए को मिलती है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर साबित होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। यानि जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो देश की करेंसी को मजबूती मिलती है।

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है। भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है।

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आती है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई आ रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम होता है। अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगाते रहे हैं तो दुनिया के लिए यह संकेत जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए भी देश में बीते कुछ साल में बेहतर माहौल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का माहौल प्रदान किया। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्‍स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तैयार करता है। आज भारत इस लिहाज से भी काफी सुधार कर चुका है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत में निवेश को तैयार खड़े हैं।

विदेशी ऋण

सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2021 के अंत में भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था लेकिन यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह दर्शाती है कि मध्यम अवधि परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।

भारत की लचीलापन

आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला है। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।

विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है। रूपये पर इसका असर

विदेश मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) भारत में अपने रिकॉर्ड स्तर को पार कर रहा है। जो अभी $650 बिलियन से अधिक है। ऐसा होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा समय क्या है एक बेहतर कदम है। विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार बढ़ने से यह साफ है कि भारत में विदेशी निवेशकों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।

Table of Contents

विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) क्या है?

किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं। भारत में RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का आंकलन किया जाता है और हर सप्ताह देश के विदेशी मुद्रा भंडार के आँकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में शामिल है।

  1. विदेशी परिसंपत्तियां(Foreign currency asset)- इसमें बॉन्ड, शेयर, डिबेंचर इत्यादि को शामिल किया जाता है।
  2. गोल्ड रिज़र्व
  3. IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच- यह वह मुद्रा होती है। जिसे हर सदस्य देश IMF को प्रदान करता है। जिसका उपयोग अपने स्वयं के लिए कर सकता है।
  4. SDR(Special drawing rights)- विशेष आहरण अधिकार विदेशी मुद्रा समय क्या है कोई मुद्रा नहीं है। बल्कि एक दवा है जो IMF राष्ट्रों की मुद्राओं को प्रयोग करने योग्य दिया जा सकता है। SDG के अंतर्गत 5 देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है। डालर, यूरो, विदेशी मुद्रा समय क्या है येन, रेनमिनबी , पाउंड

वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत द्वारा लगभग $525 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल निर्यात किया गया जबकि $600 बिलियन का आयात किया गया। जिस कारण $75 बिलियन का व्यापार घाटा हुआ। दुनिया में सर्वाधिक व्यापार डॉलर में किया जाता है। विदेशी मुद्रा भंडार के अधिक होने से केंद्रीय बैंक को रूपया देकर डॉलर खरीदने की आवश्यकता नहीं होती, भारत द्वारा आयत अधिक किये जाने से भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है।

भारत हर साल 6000-7000 वस्तुओं का आयत करता है। ऐसा विश्व के अलग अलग देशों से किया जाता है। जिस वजह से अलग अलग देशों की मुद्राओं को RBI अपने पास रखता है। दुनिया में सबसे अधिक व्यापार डॉलर में किया जाता है। ऐसे में किसी भी केंद्रीय बैंक में डॉलर का संग्रहण अधिक होना अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है।

1991 के समय देश में विदेशी मुद्रा भंडार अत्यधिक कम हो गया था। इस समय देश के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी थे। उस समय भारत की स्थिति ऐसी हो चुकी थी कि भारत के द्वारा लगातार 3 हफ्ते तक आयात नहीं किया जा सकता था। तब RBI ने 47 टन सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा प्राप्त की। जिसके उपरांत आयत की जरूरतों को पूरा किया जा सका।

विश्व के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा समय क्या है डॉलर 62.7%, यूरो 20.2%, येन 4.9% है। भारत में विदेशी मुद्रा भंडार को RBI के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

रुपये को संतुलित रखने में

रूपये को संतुलित रखने के लिए RBI के द्वारा ही डॉलर की खरीदी और बिक्री की जाती है। जब विदेशों से भारत में डॉलर का प्रवाह अधिक हो रहा होता है तब RBI के द्वारा डॉलर की खरीद की जाती है। किन्तु जब डॉलर की मांग अधिक होती है तो RBI डॉलर बेच देता है। डॉलर के मुकाबले रूपये की स्थिति को संतुलित बनाये रखने के लिए RBI के द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है। कहने का तात्पर्य है कि डॉलर के मुकाबले रूपये का मजबूत होना या रूपये का गिरना संतुलित रहता है।

पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 100 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। इस समय डॉलर और यूरो, विदेशी परिसंपत्ति के रूप में 560.890 बिलियन डॉलर का है और स्वर्ण भंडार 37.2 बिलियन डॉलर का। जबकि SDR 1.513 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा समय क्या है है। IMF के पास आरक्षित रिजर्व ट्रेंच 5 बिलियन डॉलर का है। इन सभी को जोड़ने पर यह 600 बिलियन डॉलर का दिखाई देता है।

विदेशी मुद्रा भंडार में स्थान

विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चीन 3330 अरब डॉलर के साथ पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर जापान है- जिसका विदेशी मुद्रा भंडार 1378 अरब डॉलर का है। इसके बाद तीसरे स्थान पर स्विटज़रलैंड 1070 अरब डॉलर के साथ विदेशी मुद्रा समय क्या है है। चौथे स्थान पर रूस है और अभी भारत की स्थिति पांचवें स्थान पर है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में भारत रूस को पीछे छोड़ विदेशी मुद्रा भंडार में चौथे स्थान पर आ जायेगा।

विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) बढ़ने के कारण

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार(videshi mudra bhandar) में वृद्धि होने के कई कारण है। जिसमें भारत में निवेश के बेहतर विकल्प का होना शामिल है, भारत अपने आयात में लगातार कमी कर रहा है। और निर्यात पर बल दे रहा है। अमेरिकी जैसे देशों ने हाल में अधिक नोटों की छपाई की है। जिस कारण भारत में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए विदेशी निवेश भारत में अधिक आ रहा।

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Возможно, это изображение текст «भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट!! बीते सप्ताह, विदेशी मुद्रा भंडार $11.17 बिलियन घटकर $606.47 बिलियन पर पहुंचा आर्थिक बर्बादी का पर्याय बन चुकी है मोदी सरकार IndianNotionalCongress aINCindia www.inc.in»

लोगोको बेवकुफ बनाते है।जो सप्ताह विक था सिर्फ वोही बताया। काग्रेसके टाइममे इतना विदेशी मुद्राका भंडार थाही नहि।

काम तो कुछ है नही बस बकवास करते रहो। अरे कांग्रेसी, कभी सपने मे भी सोचा था कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डलार से उपर होगा ?

देश कंगाल होकर गुलामी की ओर बढ़ रहा है। यह बात साधन सम्पन्न लोगों की समझ में नहीं आ रहा है, यह लोग मोदी की भक्ति में चूर हैं।

Congress party is biggest chor and chitter party in universe
Congress party development is Robert Wandra how poor man can be rich after married secret formula priyanka and Sonia Gandhi have

कांग्रेस इधर उधर की बातें ना करके हिन्दुओं की शोभायात्रा पर मुस्लिमों के आक्रमण को लेकर बातें करना चाहिए।कांग्रेस पार्टी की चुप्पी साध लेने से उनके द्वारा दी गई वह साजिश भरी ताकतें आज झुठी साबित नही हो सकती।

क्या फर्क पड़ता है भाजपा अडानी और अंबानी की सम्पत्ति तो बढ़ रही है
अन्त में ये हम सबको 5kg राशन देंगे यही अच्छा रहेगा क्योंकि हम विरोध तो कर नही सकते ?

जब अभी कुछ माह पहले ये लगातार बढ़ रही थी और अपने उच्च अस्तर पर पहुची तो तब किसकी बर्बादी हो रही थी.
काँग्रेस की

इब्तदा ए इश्क में रोता है क्या
आगे-आगे देखिये होता है क्या।।

श्री राहुल गांधी जिंदाबाद
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिंदाबाद।।

जब विदेशी व्यापार बढ़ रहा है पहले से तेजी से बढ़ा है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा. ये तो फैक्ट है लेकिन तुम्हें फैक्ट से क्या मतलब 😂 😂 😂 😂 😂

भारत की अर्थव्यवस्था दुर्दशा को देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब हमारी हालत भी श्रीलंका की तरह हो जाएगी|
और इन सब के लिए भारत की जनता ही जिम्मेदार होगी
अनुभवहीन बकलोल के हाथों सत्ता सौंपने का असर क्या होता है यह अभी कुछ सालों में समझ आ जाएगा |

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