PAN Card Download: भारत में पैन कार्ड (PAN Card) एक अहम दस्तावेज के तौर पर देखा जाता है. पैन कार्ड का इस्तेमाल वित्तीय लेनदेन के लिए जरूरी है. आयकर विभाग की ओर से पैन कार्ड जारी किया जाता है. वहीं पैन कार्ड अगर लोगों के पास नहीं है तो उनके कुछ अहम काम भी अटक सकते हैं. इसके लिए वित्तीय लेनदेन के अलावा भी कई कामों के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता पड़ती है. आइए जानते हैं आखिर किन कामों के पैन कार्ड की जरूरत पड़ती है.
नए साल से पहले करोड़ों ग्राहकों को SBI का बड़ा तोहफा, अब FD पर मिलेगा ज्यादा ब्याज
यूटिलिटी न्यूज 50 विदेशी मुद्रा जमा डेस्क . साल खत्म होने से 3 हफ्ते पहले SBI ने करोड़ों ग्राहकों को नए साल का तोहफा दिया है. बैंक ने कुछ समय के लिए अपनी एफडी दरों में बढ़ोतरी की है। नई दर वृद्धि आज से प्रभावी होगी। बैंक के मुताबिक, दरों में बदलाव नए डिपॉजिट और मैच्योर डिपॉजिट के रिन्यूअल पर लागू होगा. इसके साथ ही बैंक के वरिष्ठ नागरिकों को भी नई दरों पर अतिरिक्त ब्याज मिलेगा। नई दरें रु। 2 करोड़ से कम जमा पर लागू। हाल ही में रिजर्व बैंक ने दरों में बदलाव किया है, जिसका असर डिपॉजिट रेट और लोन रेट में देखने को मिल रहा है और दोनों में बढ़ोतरी हो रही है.
कितनी बढ़ी ब्याज दर?
मौजूदा समय में 7 दिन से 45 दिन की मैच्योरिटी वाली एफडी पर 3 फीसदी की ब्याज दर ऑफर की जाती है। वहीं, 46 दिन से 179 दिन के बीच मैच्योरिटी वाले डिपॉजिट पर 3.9 फीसदी की ब्याज दर की पेशकश की जा रही है. वहीं, 180 दिन से 210 दिन की अवधि के लिए ब्याज दर 5.25 फीसदी है.
विदेशी कर्ज 390 अरब डॉलर पर पहुंचा
मुंबई। भारत पर विदेशी कर्ज पिछले वित्त वर्ष के दौरान 13 फीसद बढ़कर 390 अरब डॉलर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि छोटी अवधि के कर्ज और विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) में इजाफे के चलते विदेशी कर्ज में इजाफा हुआ है।
आरबीआइ ने अपने बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार मार्च, 2012 में कर्ज का 85.2 फीसद था। यह मार्च, 2013 में घटकर 74.9 फीसद रह गया। ट्रेड क्रेडिट की वजह से विदेशी कर्ज बढ़ता चला गया। इस दौरान छोटी अवधि के क्रेडिट बढ़े। वहीं ईसीबी और रुपये आधारित एनआरआइ जमा में भी इजाफा हुआ। इन सभी कारणों ने विदेशी कर्ज को बढ़ने का मौका दे दिया। आरबीआइ ने कहा कि डॉलर समेत विभिन्न मुद्राओं के मुकाबले लगातार कमजोर होते रुपये ने भी 50 विदेशी मुद्रा जमा स्थिति प्रतिकूल कर दी।
मार्च, 2012 में देश पर कुल विदेशी कर्ज 345.5 अरब डॉलर था। केंद्रीय बैंक ने बताया कि यदि रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव को हटा दें तो विदेशी कर्ज मार्च, 2013 तक 55.8 अरब डॉलर बढ़ जाता। कुल कर्ज में 120.9 अरब डॉलर के साथ 31 फीसद हिस्सेदारी ईसीबी, छोटी अवधि के कर्जो की 24.8 फीसद और एनआरआइ जमा की हिस्सेदारी 18.2 फीसद रही।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
त्रेहान समूह के प्रबंध निदेशक सारांश त्रेहान ने कहा कि आरबीआई ने इस वर्ष पहले ही दो तीन बार ब्याज दरों में वृद्धि की है, जिसका रियल एस्टेट की मांग पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था, विश्व स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस कारण भारतीय उपभोक्ता भविष्य के प्रति बहुत आशानवित है। नतीजतन, सभी प्रकार की संपत्तियों की मांग लगातार बनी हुई है और निकट भविष्य में इसकी मांग बनी हुई रहेगी।
एआईपीएल के समूह कार्यकारी निदेशक पंकज पाल ने कहा कि मौजूदा महंगाई के परिदृश्य को देखते हुए आरबीआई का फैसला अपेक्षित है। इस फैसले से कर्ज और जमा दरों में मजबूती आने की संभावना है। डिमांड का थोड़ा सा प्रभाव हो सकता है, लेकिन हम हाउसिंग मार्केट के डिमांड पर एक बड़े प्रभाव की उम्मीद नहीं करते हैं। शेयर बाजार,सोना तथा अन्य निवेश के विकल्पों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस कारण से उपभोक्ताओं का रियल एस्टेट में निवेश के प्रति झुकाव बढ़ा है और आगे भी इसके बनी रहने की संभावना है।
दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी
दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों की बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई ने मई में दरें बढ़ाना शुरू किया था। रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की थी। भारत में खुदरा महंगाई दर जून में लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी टॉलरेंस बैंड से अधिक चल रही है। जून में खुदरा महंगाई 50 विदेशी मुद्रा जमा 7.01 फीसद पर आ गई थी। हालांकि, आरबीआई की माने तो महंगाई दर कुछ नीचे आई है।
लोन होगा महंगा और एफडी करने वालों को मिलेगा फायदा
रेपो रेट में वृद्धि होने से आने वाले दिनों में होम लोन, ऑटो लोन व दूसरे बैंकिंग लोन और भी महंगे हो जाएंगे। मई 2022 में जब आरबीआई ने रेपो रेट में 0.40 50 विदेशी मुद्रा जमा फीसद की वृद्धि की थी, तो उसके बाद कई बैंकों ने ताबड़तोड़ तरीके से अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया था। ब्याज दरों में आज हुई 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों को और बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, एफडी में निवेश करने वाले लोगों को बढ़ी ब्याज दरों का फायदा मिल सकता है।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट (Repo Rate) वह रेट होता है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। इसका पूरा नाम रिप्रोडक्शन रेट (Reproduction Rate) है, लेकिन संक्षेप में इसे रेपो रेट (Repo Rate) कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि 50 विदेशी मुद्रा जमा बैंक से मिलने वाले सभी तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। यानी रेपो रेट कम हाेने से होम लोन (Home Loan), व्हीकल लोन (Vehicle loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) सभी सस्ते हो जाते हैं। लेकिन इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। इसी तरह इसके बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं।
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