Dollar vs Rupee Rate Today: अमेरिकी करेंसी के मुकाबले रुपया बुधवार को 42 पैसे की मजबूती डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम के साथ दो सप्ताह के उच्च स्तर 81.30 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

Vikash Tiwary

'डॉलर की तुलना में रुपया'

Dollar vs Rupee Rate Today: दुनिया की छह करेंसी की तुलना में अमेरिकी करेंसी की कमजोरी या मजबूती की स्थिती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) 0.16 फीसदी गिरकर 104.96 पर आ गया है.

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान आज विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. आज निर्मला सीतारमण ने खासतौर पर रुपये और डॉलर के बदलते समीकरण पर सदन को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में भारत की अर्थव्यवस्था ICU मे थी, Fragile Five में थी. आज COVID-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Economy) है.

Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी फंडों की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है.

Rupee की दहाड़, डॉलर के मुकाबले 49 पैसे की लगाई छलांग, शेयर बाजार में भी बहार

डॉलर के मुकाबले रुपया में आई जोरदार तेजी

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 09 नवंबर 2022, 10:21 AM IST)

लंबे समय से जारी भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) में गिरावट पर ब्रेक लगता दिखाई दे रहा है. बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले 49 पैसे की लंबी छलांग लगाकर 81.43 के स्तर पर आ गया. इससे पहले रुपया लगातार टूटने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा था और बीते अक्टूबर महीने में यह टूटकर पहली बार पहुंचा 83 के पार पहुंच गया था.डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम

टूटने का नया रिकॉर्ड बना रहा था रुपया
अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले रुपया (Rupee) में गिरावट महीने-दर-महीने तेजी होती जा रही थी. सितंबर 2022 में इसने गिरते हुए 82 के स्तर को पार किया था, तो अगले ही महीने यानी अक्टूबर 2022 में यह टूटकर 83.01 रुपये प्रति डॉलर परा बंद हुआ. ये पहली बार था जब रुपया ने 83 के आंकड़े को पार किया था. हालांकि, इसके बाद रुपये में गिरावट में कुछ कमी आती गई और उतार-चढ़ाव जारी रहा. हालांकि, बुधवार को आई 49 पैसे की जोरदार बढ़त राहत देने वाली खबर है.

क्यों टूट रहा है रुपया

गिरावट का एक और कारण डॉलर सूचकांक का लगातार बढ़ना भी बताया जा रहा है। इस सूचकांक के तहत पौंड, यूरो, रुपया, येन जैसी दुनिया की बड़ी मुद्राओं के आगे अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को देखा जाता है। सूचकांक के ऊपर होने का मतलब होता है सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती। ऐसे में बाकी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले गिर जाती हैं।इस साल डॉलर सूचकांक में अभी तक नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम की गई है, जिसकी बदौलत सूचकांक इस समय 20 सालों में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है। यही वजह है कि डॉलर के आगे सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि यूरो की कीमत भी गिर गई है।

रुपये की गिरावट का तीसरा कारण यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है। युद्ध की वजह से तेल, गेहूं, खाद जैसे उत्पादों, जिनके रूस और यूक्रेन बड़े निर्यातक हैं, की आपूर्ति कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। चूंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, देश का आयात पर खर्च बहुत बढ़ गया है। आयात के लिए भुगतान डॉलर में होता है जिससे देश के अंदर डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम डॉलरों की कमी हो जाती है और डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है।

कहां तक टूट सकता है रुपया?

बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, भारतीय रुपया साल के अंत तक 81 प्रति डॉलर तक टूट सकता है। इस साल अब तक भारतीय रुपया 9% से अधिक लुढ़क चुकी है। डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल कीमतों में तेजी ने रुपया को कमजोर करने का काम किया है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% कच्चा तेल आयात करता है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ा है।

भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। रुपया कमजोर होने के डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम कारण इन वस्तुओं का आयात पर अधिक रकम चुकाना पड़ रहा है। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम और मार पड़ेगी।

रुपये पर सीधा असर

व्यापार घाटा बढ़ने का चालू खाता के घाटा (सीएडी) पर सीधा असर पड़ता है और यह भारतीय रुपये के जुझारुपन, निवेशकों की धारणाओं और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। चालू वित्त वर्ष में सीएडी के जीडीपी के तीन फीसदी या 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आयात-निर्यात संतुलन बिगड़ने के पीछे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तेल और जिसों के दाम वैश्विक डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम स्तर पर बढ़ना, चीन में कोविड पाबंदियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होना और आयात की मांग बढ़ने जैसे कारण हैं। इसकी एक अन्य वजह डीजल और विमान ईधन के निर्यात पर एक जुलाई से लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर भी है।

देश के निर्यात में गिरावट ऐसे समय हुई है जब तेल आयात का बिल बढ़ता जा रहा है। भारत ने अप्रैल से अगस्त के बीच तेल आयात पर करीब 99 अरब डॉलर खर्च किए हैं जो पूरे 2020-21 की समान अवधि में किए गए 62 अरब डॉलर के व्यय से बहुत ज्यादा है। सरकार ने हाल के महीनों में आयात को हतोत्साहित करने के लिए सोने जैसी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने, कई वस्तुओं के आयात पर पाबंदी लगाने तथा घरेलू उपयोग में एथनॉल मिश्रित ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास करने जैसे कई कदम उठाए हैं। इन कदमों का कुछ लाभ हुआ है और आयात बिल में कुछ नरमी जरूर आई है लेकिन व्यापक रूझान में बड़े बदलाव की संभावना कम ही नजर आती है।

Dollar Vs Rupee: रुपया फिर धड़ाम, डॉलर के मुकाबले पहली बार 83 के पार पहुंचा

Published: October 19, 2022 6:08 PM IST

Retail Digital Rupee started by RBI as a pilot

Rupee vs Dollar: रुपया लगातार रसातल में पहुंचता जा रहा है. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया औंधे मुंह गिरकर पहली बार 83 रुपये के पार पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा निवेशकों में जोखिम लेने की धारणा कमजोर होने से भी रुपये पर असर पड़ा. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.32 पर मजबूत खुला. बाद में रुपये में शुरुआती तेजी जाती रही और कारोबार डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम के अंत में यह अपने पिछले बंद भाव 82.40 प्रति डॉलर के मुकाबले 61 पैसे की गिरावट के साथ अबतक के सबसे निचले स्तर 83.01 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

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इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.31 प्रतिशत बढ़कर 112.48 हो गया. अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.82 प्रतिशत बढ़कर 90.77 डॉलर प्रति बैरल हो गया.

इसके अलावा, बीएसई सेंसेक्स 146.59 अंक की तेजी के साथ 59,107.19 अंक पर पहुंच गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला जारी है. उन्होंने मंगलवार को 153.40 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी.

(इनपुट: भाषा)

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Rupees vs Dollar: डॉलर के आगे रुपया धड़ाम! पहली बार 83 के आंकड़े को किया पार

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Updated on: October 19, 2022 16:26 IST

Rupees vs Dollar- India TV Hindi

Photo:INDIA TV पहली बार 83 के आंकड़े को किया पार

Rupees vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर कमजोर हो गया है। एक अमेरिकी डॉलर की कीमत डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम 61 पैसे बढ़कर पहली बार 83 के ऊपर 83.01 पर जा पहुंची है। आगे और कमजोर होने की उम्मीद है। बता दें, पिछले महीने US Fed ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जिसका असर भारतीय शेयर मार्केट से लेकर रुपये पर देखने को मिल रहा है। रुपये में गिरावट से एक ओर जहां व्यापार घाटा बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी होगी।

क्यों टूट रहा है रुपया

गिरावट का एक और कारण डॉलर सूचकांक का लगातार बढ़ना भी बताया जा रहा है। इस सूचकांक के तहत पौंड, यूरो, रुपया, येन जैसी दुनिया की बड़ी मुद्राओं के आगे अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को देखा जाता है। सूचकांक के ऊपर होने का मतलब होता है सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती। ऐसे में बाकी मुद्राएं डॉलर के मुकाबले गिर जाती हैं।इस साल डॉलर सूचकांक में अभी तक नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसकी बदौलत सूचकांक इस समय 20 सालों में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है। यही वजह है कि डॉलर के आगे सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि यूरो की कीमत भी गिर गई है।

रुपये की गिरावट का तीसरा कारण यूक्रेन युद्ध माना जा रहा है। युद्ध की वजह से तेल, गेहूं, खाद जैसे उत्पादों, जिनके रूस और यूक्रेन बड़े निर्यातक हैं, उनकी आपूर्ति कम हो गई है और दाम बढ़ गए हैं। चूंकि भारत विशेष रूप से कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, देश का आयात पर खर्च बहुत बढ़ गया है। आयात के लिए भुगतान डॉलर में होता है जिससे देश के अंदर डॉलरों की कमी हो जाती है और डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है।

रुपये में कमजोरी का क्या होगा असर

भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। रुपया कमजोर होने के कारण इन वस्तुओं का आयात पर अधिक रकम चुकाना पड़ रहा है। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।

व्यापार घाटा बढ़ने का चालू खाता के घाटा (सीएडी) पर सीधा असर पड़ता है और यह भारतीय रुपये के जुझारुपन, निवेशकों की धारणाओं और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। चालू वित्त वर्ष में सीएडी के जीडीपी के तीन फीसदी या 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आयात-निर्यात संतुलन बिगड़ने के पीछे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तेल और जिसों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ना, चीन में कोविड पाबंदियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होना और आयात की मांग बढ़ने जैसे कारण हैं। इसकी एक अन्य वजह डीजल और विमान ईधन के निर्यात पर एक जुलाई से लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर भी है।

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