Zee Business हिंदी 29-11-2022 ज़ीबिज़ वेब टीम

सेबी ने बीएसई को सोशल स्टॉक एक्सचेंज स्थापित करने की मंजूरी दी

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बीएसई को बीएसई के एक अलग खंड के रूप में एक सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इससे सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों को बाजार से पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2019-2020 के बजट भाषण में एसएसईकी अवधारणा का प्रस्ताव रखा।

सेबी ने FPI, सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर एडवाइजरी पैनल में किया बदलाव, कमिटी में ये हुए सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है शामिल

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Sebi: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) और सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchange) से संबंधित अपनी सलाहकार समितियों (Advisory Committees) का रिस्ट्रक्चर किया है. सेबी ने अपनी FPI एडवाइजरी कमिटी में फेरबदल करते हुए कहा कि पूर्व वित्त सचिव हसमुख अधिया अब 16 सदस्यीय समिति की अध्यक्षता करेंगे. पहले इस समिति की अध्यक्षता भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम कर रहे थे.

मार्केट रेगुलेटर ने बताया कि जीआईसी (GIC) के प्रबंध निदेशक च्यू हाई जोंग और जेपी मॉर्गन के माइकल ड्रमगूले को इस समिति में शामिल किया गया है.

कमिटी में ये हुए शामिल

सेबी ने Social Stock Exchange से संबंधित समिति में समुन्नति फाइनेंशियल इंटरमीडिएशन एंड सर्विसेज (Samunnati Financial Intermediation & Services) के संस्थापक एवं सीईओ अनिल कुमार, सस्टेनेबिलिटी (HCL Tech) के वैश्विक प्रमुख संतोष जयरामन, गाइडस्टार इंडिया (GuideStar India) की संस्थापक एवं सीईओ पुष्पा अमन सिंह और बीआईएल रायर्सन टेक्नोलॉजी स्टार्टअप इनक्यूबेटर फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक हेमंत गुप्ता को शामिल किया है.

मणिपाल सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन और इन्फोसिस के पूर्व निदेशक टीवी मोहनदास पई, ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया की एमडी रूपा कुडवा और बीएआईएफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन (BAIF Development Research Foundation) के गिरीश जी सोहानी अब समिति का हिस्सा नहीं हैं.

इस 18 सदस्यीय समिति की अध्यक्षता अब ग्रासरूट रिसर्च एंड एडवोकेसी मूवमेंट (GRAAM) के अध्यक्ष आर बालासुब्रमण्यम करेंगे. पहले इसके प्रमुख इशात हुसैन (एसबीआई फाउंडेशन के निदेशक और टाटा संस के पूर्व वित्त निदेशक) थे.

पैनल सोशल एंटरप्राइजेज के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क से संबंधित मुद्दों पर Sebi को सलाह देने के लिए जिम्मेदार होंगे. ऐसे सोशल एंटरप्राइजेज को नियंत्रित करने वाली प्रणालियों में सरलीकरण और पारदर्शिता के लिए कानूनी ढांचे में बदलाव के लिए उठाए जाने वाले मामलों पर नियामक का सुझाव देता है.

जुलाई में कैपिटल मार्केट रेगुलेटर ने सोशल एंटरप्राइजेज को फंड जुटाने के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए social stock exchange के लिए एक फ्रेमवर्क अधिसूचित की. सोशल स्टॉक एक्सचेंज भारत में एक नई अवधारणा है और इस तरह के एक्सचेंज का उद्देश्य निजी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों को अधिक से अधिक पूंजी प्रदान करना है.

SEBI ने एफपीआई, सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर सलाहकार पैनल में बदलाव किया

नई दिल्ली: सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है पूंजी बाजार नियामक सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और सोशल स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित अपनी सलाहकार समितियों का पुनर्गठन किया है। सेबी ने अपनी एफपीआई सलाहकार समिति में फेरबदल करते हुए कहा है कि पूर्व वित्त सचिव हसमुख अधिया अब 16 सदस्यीय पैनल की अध्यक्षता करेंगे। पहले इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम कर रहे थे।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के एक अपडेट से पता चलता है कि जीआईसी के प्रबंध निदेशक च्यू है जोंग और जेपी मॉर्गन में डायरेक्ट कस्टडी और क्लियरिंग के प्रबंध निदेशक माइकल ड्रमगोले नए शामिल हुए हैं। इससे पहले जेपी मॉर्गन चेस बैंक के माधव कल्याण अगस्त में सेबी द्वारा गठित 15 सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है सदस्यीय समिति का हिस्सा थे। समिति को भारत में एफपीआई द्वारा व्यापार करने में आसानी के साथ-साथ बांड बाजार में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उपायों पर पूंजी बाजार नियामक को सलाह देने का काम सौंपा गया है।

समिति के संदर्भ की अन्य शर्तों में एफपीआई के लिए उपलब्ध निवेश मार्गों की समीक्षा करना और नए निवेश मार्गों की व्यवहार्यता पर सलाह देना शामिल है। पैनल को एफपीआई नियमों के सरलीकरण के उपायों की सिफारिश करने और ऐसे विदेशी निवेशकों से संबंधित संरक्षक संबंधी मामलों पर सलाह देने की आवश्यकता है।

सोशल स्टॉक एक्सचेंज के संबंध में, सेबी ने अनिल कुमार एसजी, संस्थापक और सीईओ, समुन्नति फाइनेंशियल इंटरमीडिएशन एंड सर्विसेज; संतोष जयरामन ग्लोबल हेड- सस्टेनेबिलिटी, एचसीएल टेक; गाइडस्टार इंडिया की संस्थापक और सीईओ पुष्पा अमन सिंह; और हेमंत गुप्ता, बीआईएल रायर्सन टेक्नोलॉजी स्टार्टअप इनक्यूबेटर फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक, अन्य लोगों के बीच।

टीवी मोहनदास पई, मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के अध्यक्ष और इंफोसिस के पूर्व सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है निदेशक; ओमिडयार नेटवर्क इंडिया की एमडी रूपा कुडवा; और BAIF डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन के गिरीश जी सोहानी अब समिति का हिस्सा नहीं हैं।

18 सदस्यीय समिति की अध्यक्षता अब ग्रासरूट रिसर्च एंड एडवोकेसी मूवमेंट (GRAAM) के अध्यक्ष आर बालासुब्रमण्यम करेंगे। पहले इसके अध्यक्ष इशात हुसैन (एसबीआई फाउंडेशन के निदेशक और टाटा संस के पूर्व वित्त निदेशक) थे।

पैनल सामाजिक उद्यमों के लिए नियामक ढांचे से संबंधित मुद्दों पर सेबी को सलाह देने के लिए जिम्मेदार है, ऐसे सामाजिक उद्यमों को नियंत्रित करने वाली प्रणालियों में सरलीकरण और पारदर्शिता के लिए कानूनी ढांचे में बदलाव के लिए उठाए जाने सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है वाले मामलों पर नियामक का सुझाव देता है।

जुलाई में, पूंजी बाजार नियामक ने सामाजिक उद्यमों को धन जुटाने के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज के लिए एक रूपरेखा अधिसूचित की। सोशल स्टॉक एक्सचेंज भारत में एक नई अवधारणा है और इस तरह के एक्सचेंज का उद्देश्य निजी और गैर-लाभकारी क्षेत्रों को अधिक से अधिक पूंजी प्रदान करना है।

सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को दी मंजूरी, जानिए क्या है ये और कैसे करेगा काम?

SSE यानी सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए नॉन-प्रॉफिट या नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशंस खुद को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करा पाएंगे.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - September 28, 2021 / 07:38 PM IST

सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को दी मंजूरी, जानिए क्या है ये और कैसे करेगा काम?

बाजार नियामक सेबी (SEBI) के बोर्ड ने मंगलवार को कई सुधारों का ऐलान किया है. इसमें गोल्ड एक्सचेंज के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिये पूंजी जुटाने का रास्ता खोलते हुए सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social stock exchange) खोलने के लिए फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है. सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज को लाने के प्रस्ताव को सेबी के बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. इस सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है दरवाजे के खुलने से सामाजिक सेक्टर में काम करने वाली कंपनियां आसानी से बाजार से पैसा जुटा सकेंगी.सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है

यहां हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर ये सोशल स्टॉक एक्सचेंज कैसा होगा और किस तरह से काम करेगाः

क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज?

SSE यानी सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए नॉन-प्रॉफिट या नॉन-गवर्नमेंट सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है ऑर्गनाइजेशंस खुद को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करा पाएंगे. इस तरह से इन संगठनों को पैसे जुटाने का एक वैकल्पिक तरीका मिल जाएगा. इन्हें बीएसई या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट किया जा सकता है. कनाडा, यूके और ब्राजील जैसे देशों में SSE हैं.

मार्केट साइज

सेबी के मुताबिक, भारत में कम से कम 31 लाख NPO हैं. ये संख्या देश में मौजूद कुल स्कूलों का तकरीबन दोगुना है और सरकारी हॉस्पिटलों का करीब 250 गुना है. हर 400 भारतीयों पर करीब एक NPO मौजूद है.

मकसद

ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक, SSE सोशल कैपिटल के एक बड़े पूल का इस्तेमाल कर पाएंगे और इससे एक ब्लेंडेड फाइनेंस स्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा ताकि परंपरागत पूंजी सोशल कैपिटल के साथ मिलकर कोविड19 की मौजूदा चुनौती का सामना करने में इस्तेमाल हो सके.

ये कैसे काम करेगा?

सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों के तहत एक अलग सेगमेंट होगा. इसका मतलब है कि SSE न सिर्फ एक ऐसी जगह होगी जहां सिक्योरिटीज या दूसरे फंडिंग स्ट्रक्चर्स लिस्टेड होंगे, बल्कि इसमें कई प्रक्रियाएं भी शामिल होंगी.

टैक्स बेनेफिट

पिछले साल ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि SSE कॉरपोरेट्स और सामाजिक कामों में लगे संगठनों को योगदान देने के लिए आमंत्रित कर सकता है. इस तरह से इन्हें 80G के तहत टैक्स के फायदे मिल सकते हैं.

बनेगा सोशल स्टॉक एक्सचेंज, कोविड-19 से पीड़ित सहित इन लोगों को होगा फायदा

टाइम्स नाउ डिजिटल

Social Stock Exchange: सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए कोविड-19 से पीड़ित लोगों, इसके अलावा समाज के वंचित और गरीब आबादी तक सेवाएं पहुंचाना आसान और सस्ता हो सकेगा।

Social Stock Exchange

  • दुनिया में अभी केवल 7 देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है। अब भारत भी इस कैटेगरी में शामिल होगा।
  • सोशल स्टॉक एक्ससेंज का उद्देश्य ऐसी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने में सहयोग करना है जो सामाजिक क्षेत्र में काम करती हैं।
  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज से फॉर प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइजेज (FPE) और नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) पूंजी जुटा सकेंगे।

नई दिल्ली: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज का रास्ता साफ कर दिया है। इसके लिए सेबी ने 28 सितंबर को एक्सचेंज के फ्रेम वर्क को मंजूर कर लिया है। सोशल स्टॉक एक्सचेंज की परिकल्पना एक दम नई है। और इसके बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के बजट में ऐलान किया था। दुनिया में अभी केवल 7 देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है। ऐसे सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है में भारत के लिए भी यह नया मॉडल है। ऐसे में सवाल उठता है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और यह कैसे काम करेगा।

सोशल स्टॉक एक्ससेंज का उद्देश्य ऐसी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने में सहयोग करना है जो सामाजिक क्षेत्र में काम करती हैं। भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करेगा, इसके लिए सेबी ने एक टेक्निकल ग्रुप बनाया था। जिसकी सिफारिशों के आधार पर फ्रेमवर्क तैयार किया गया है।

आम लोगों को क्या फायदा

भूख, गरीबी, कुपोषण और असमानता का उन्मूलन, शिक्षा, रोजगार और आजीविका को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता, महिलाओं के सशक्तिकरण और एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदायों को बढ़ावा देना, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, वन और वन्यजीव संरक्षण ,गैर-कृषि क्षेत्र में छोटे और सीमांत किसानों और श्रमिकों की आय बढ़ाना, ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए आजीविका को बढ़ावा देना, किफायती आवास जैसे 15 क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियां इसके दायरे में आ सकती है। ऐसे में देश के एक बड़ी वंचित और गरीब आबादी तक सेवाएं पहुंचाना आसान और सस्ता हो सकेगा। खास तौर से कोवड-19 के बाद खड़ी हुई परिस्थितियों में पीड़ित लोगों तक लाभ पहुंचना आसान होगा।

सेबी चेयरमैन ने क्या कहा

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) का गठन मौजूदा प्लेटफॉर्म से अलग किया जाएगा। इसके तहत सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने का मौका मिलेगा। जिसमें नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन और फॉर प्रॉफिट सोशिल इंटरप्राइजेज कंपनियां होंगी। सेबी चेयरमैन के बयान से साफ है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज सामान्य कंपनियों के लिए नहीं होगा।

किस तरह की कंपनियों को मिलेगा मौका

नाबार्ड के चेयरमैन हर्ष भानवाला की अध्यक्षता में गठित टेक्निकल ग्रुप की सिफारिशों के अनुसार राजनीतिक दल, धार्मिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों के साथ-साथ कॉरपोरेट फाउंडेशनों को एसएसई के माध्यम से पूंजी जुटाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही फॉर प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइज (FPE) और नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) तभी एसएसई से फंड जुटा सकेंगे, जब वह साबित करेंगे कि उनका काम सामाजिक स्तर पर वंचितों के लिए काम करना है। और उनके काम का ऐसे लोगों पर असर हो रहा है। ये कंपनियां जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बांड, डेवलपमेंट इम्पैक्ट बांड, सोशल इम्पैक्ट बांड, निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंड के माध्यम से दान देने आदि तरीके से फंड जुटा सकेंगी। साथ ही विदेशी फंडिंग पर निर्भरता कम होगी।

अभी इन देशों में है सोशल स्टॉक एक्सचेंज

इंटरनेशनल सेंटर फॉर नॉट प्रॉफिट लॉ (आईसीएनएल) और समहिता सोशल वेंचर्स की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ब्राजील, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, जमैका, यूनाइटेड किंगडम, सिगापुर और कनाडा में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक अनुमान के अनुसार 2011 में 31.7 लाख एनजीओ थे। इसी तरह आयकर विभाग के अनुसार 220,000 औपचारिक रूप से कर-मुक्त संगठन और नीति आयोग के पोर्टल पर 94,000 पंजीकृत गैर सरकारी संगठन थे।

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