ई-वाणिज्य क्या है?, प्रकार, लाभ
इंटरनेट आज सफलता की ओर अग्रसर होता उद्योग है। तकनीकी विकास की तेज दर के साथ-साथ अधिक से अधिक लोग कम्प्यूटर एवं इंटरनेट का उपयोग करने लगे हैं। अपनी दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं के कारण वे कम्प्यूटर का अिध्काध्कि उपयोग करना सीखने लगे हैं। यहाँ ई-वाणिज्य वैबसाइटें सबसे आगे हैं क्योंकि आपके उत्पाद जैसे उत्पादों अथवा सेवाओं को ऑन लाइन खोजने हेतु लाखों लोग इनका उपयोग कर रहे हैं।
ई-वाणिज्य क्या है?
सरल शब्दों में, वस्तुओं तथा सेवाओं का इंटरनेट के माध्यम से क्रय तथा विक्रय करना, ई-वाणिज्य अथवा इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य कहलाता है। व्यवसाय में कोई भी निर्णय लेने से पूर्व उसके लाभों को ध्यान में रखा जाता है, अत: कंपनी को भी ई-वाणिज्य की नई कार्यनीति के कार्यान्वयन के लाभों को ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए प्रथम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात, जिसे जानने की आवश्यकता है वह यह है कि आपके जैसे व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा व्यवसाय में ई-वाणिज्य विशेषता वाली वेबसाइट की आवश्यकता है अथवा नहीं ? ई-व्यवसाय के उप समुच्चय ई-वाणिज्य अथवा इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य का अभिप्राय है कम्प्यूटर नेटवर्क (जैसे इंटरनेट) पर वस्तुओं तथा सेवाओं का क्रय, विक्रय एवं विनिमय करना और लेनदेन अथवा विक्रय की शर्तों को इलैक्ट्रॉनिक तरीके से निष्पादित करना। व्यवहार में ई-वाणिज्य तथा ई-व्यवसाय को प्राय: समान अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है।
ऑन लाइन पफुटकर विक्रय हेतु कभी-कभी ‘ई-टेलिंग’ शब्द भी प्रयोग किया जाता है। इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा वित्तीय लेनदेनों को व्यवस्थित रूप से पूरा करना इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्य है। इंटरनेट पर वाणिज्य की बड़ी सपफलता के साथ, वल्र्ड वाइड वैब (जिसे ई-वाणिज्य वैबसाइटें भी कहते हैं) पर ऑनलाइन स्टोरों से खरीदारी करना सामान्यत: ई वाणिज्य कहा जाता है।
ई-वाणिज्य के प्रकार
- व्यवसाय से व्यवसाय
- उपभोक्ता से व्यवसाय
- उपभोक्ता से उपभोक्ता
व्यवसाय से व्यवसाय
कम्पनियाँ एक-दूसरे के साथ व्यवसाय करती हैं जैसे उत्पादक, वितरक को विक्रय करता है और थोक व्यापारी, पफुटकर व्यापारी को विक्रय करता है। कीमतें आदेश की मात्रा पर निर्भर करती हैं जो प्राय: बातचीत से तय होती हैं। व्यवसाय से उपभोक्ता : व्यवसाय, सूची पत्रा का उपयोग करके प्रतिनिध्कि रूप से शापिंग कार्ट साफ्रटवेयर के माध्यम से सामान्य जनता को माल बेचते हैं। B 2 B डॉलर की मात्रा में मूल्य लेते हैं तथा उपभोक्ता से लेनदेन करते हैं।
उपभोक्ता से व्यवसाय
एक उपभोक्ता तय बजट के साथ अपनी परियोजना ऑनलाइन भेजता है तथा कुछ ही घंटों में कंपनियाँ उसकी आवश्यकताओं की समीक्षा करके उसकी परियोजना पर अपनी बोली (प्रस्ताव) भेजती हैं। उपभोक्ता उन बोलियों की समीक्षा करता है तथा उस कंपनी का चयन करता है जो उसकी परियोजना को पूर्ण करेगी। C 2 B उपभोक्ता को ऐसे लेनदेनों हेतु आवश्यक आधर उपलब्ध् कराकर संपूर्ण विश्व के लिए अधिकृत करती है।
उपभोक्ता से उपभोक्ता
कई साइटें नि:शुल्क वर्गीकृत, नीलामी तथा मंच प्रस्तुत करती है जहाँ व्यक्ति, वस्तुओं का क्रय-विक्रय ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के माध्यम से कर सकते हैं जैसे श्च्ंल ठपससश् जहाँ लोग सरलता से धन भेज सकते हैं तथा प्राप्त कर सकते हैं। ‘ई-बेय’ की नीलामी सेवा एक अच्छा उदाहरण है जहाँ वर्ष 1995 से प्रतिदिन व्यक्ति-से-व्यक्ति के बीच लेनदेन हेाते हैं।
कंपनियाँ B 2 E (व्यवसाय से कर्मचारी) ई-वाणिज्य में रत हैं जिसके अंतर्गत वे अपने कर्मचारियों को वैबसाइट पर ऑनलाइन ;आवश्यक रूप से ऑनलाइन नहींद्ध उत्पादों को अपने आंतरिक नेटवर्क पर प्रस्तुत करती हैं।
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अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख जनजातियों के बारे में जानकारी
अरुणाचल प्रदेश की विभिन्न जनजातियों से संबंधित विस्तृत जानकारी यहाँ से प्राप्त की जा सकती है। अदि, अपत्नि, बुगुन, ह्रुस्सा , सिंग्पोह और मोनपा जैसी प्रमुख जनजातियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।
अरुणाचल प्रदेश का समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग
उपयोगकर्ता अरुणाचल प्रदेश के समाज कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। योजनाएँ जैसे समन्वित बाल विकास सेवा, किशोरियों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, बालिका समृद्धि योजना, किशोरी शक्ति योजना, स्वधर आदि का विवरण उपलब्ध कराया गया है। महिला एवं बाल विकास के लिए समाज कल्याण योजना,नियम और अधिनियम की जानकारी भी उपलब्ध कराई गयी है। संगठनात्मक व्यवस्था, संबंधित मंत्रालयों, अधिनियमों, से संबंधित जानकारी प्रदान कराई गई.
चांगलांग जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली
अरुणाचल प्रदेश (एपी) चांगलैंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के बारे में जानकारी का पता लगाएं। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उचित मूल्य की दुकानों के कामकाज की रिपोर्ट करने के लिए प्रपत्र डाउनलोड किया जा सकता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दस्तावेजों, परिपत्रों, निविदा सूचनाओं, जिले में उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से अनाज के उप आवंटन पर जानकारी प्रदान की जाती हैं। प्रयोक्ता राज्य के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की वेबसाइट सहित.
भगवंत मान निवेशकों को ढूंढ रहे हैं, निवेशक योगी को चुन रहे हैं
पंजाब के उद्योगपति उत्तर प्रदेश को व्यापार के लिए एक सुरक्षित स्थान समझते हैं और इसी सोच के व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा साथ यूपी में निवेश करने की योजना भी बना रहे हैं।
Investment in Uttar Pradesh: आम आदमी पार्टी के शासन काल में पंजाब की स्थिति डावांडोल हो चुकी है, राज्य में कानून व्यवस्था बेहाल है, यह राज्य नशे के मकड़जाल में फंस चुका है। किसी भी राज्य सरकार की मूल जिम्मेदारी वहां के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है लेकिन भगवंत मान सरकार है कि इस मामले में पूरी तरह से असफल साबित हुई है। ऐसे में अब वहां के उद्योगपति पंजाब छोड़-छोड़कर भाग रहे हैं, ये व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ की शरण में आना चाहते हैं।
व्यापार के लिए एक सुरक्षित स्थान
दरअसल, पंजाब के उद्योगपति उत्तर प्रदेश को व्यापार के लिए एक सुरक्षित स्थान समझते हैं और इसी सोच के साथ उत्तर प्रदेश में निवेश (Investment in Uttar Pradesh) करने की योजना भी बना रहे हैं। देखिए कैसी विचित्र स्थिति है कि एक तरफ तो पंजाब के उद्योगपति पंजाब छोड़कर यूपी की तरफ भाग रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब के सीएम भगवंत मान पंजाब में निवेश करने के लिए हैदराबाद और चेन्नई में निवेशकों को खोजते फिर रहे हैं। दर-दर जाकर भगवंत मान दूसरे राज्यों के उद्योगपतियों को पंजाब में उद्योग करने की संभावनाओं को बता रहे हैं।
दरअसल, करीब 50 उद्योगपतियों ने हाल ही में सीएम योगी आदित्यानाथ से लखनऊ आकर मुलाकात की है और Uttar Pradesh में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये के Investment का वादा भी कर दिया है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यानाथ से मुलाकात करने वाले उद्योगपतियों में पंजाब के उद्योगपतियों की अच्छी संख्या थी। जानकारी के अनुसार, पंजाब के उद्योगपतियों के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के प्रस्ताव दिए गए और पंजाब के साइकिल, ऑटो पार्ट्स, रंगाई व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा और बॉयलर उद्योग ने भी Uttar Pradesh में Investment करने में रुचि दिखाई।
अपराध के दल-दल में फंसा पंजाब
उद्योगपतियों की पंजाब छोड़कर यूपी में व्यापार (Investment in Uttar Pradesh) करने की रुचि बताती है कि पंजाब भगवंत मान सरकार के नेतृत्व में आर्थिक रूप से गर्त में पहुंचने के लिए तैयार है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पहले से और अधिक अच्छी हुई है। जिसके बाद राज्य से बाहर के लोग भी यहां स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। व्यापारी तो अपराध के दल-दल में फंसे पंजाब से अपना व्यापार उत्तर प्रदेश में शिफ्ट तक करने की योजना बना रहे हैं। पंजाब की भगवंत मान सरकार के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता है।
एक समय ऐसा था जब बिगड़ती कानून व्यवस्था के कारण, निवेशक और कंपनियां Uttar Pradesh में Investment करने से बचती थीं। दंगे, लूट और हिंसा के कारण एक समय में चर्चा में रहे इस राज्य में कंपनियां निवेश करने से कतराती थीं लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद, कानून और व्यवस्था में आए सुधार ने यहां के युवाओं के लिए रोजगार और अन्य अवसर पैदा करने में बहुत मदद की है। उत्तर प्रदेश आज सीएम योगी आदित्यानाथ के नेतृत्व में व्यापार के लिए बेहतर माहौल तैयार करने में लगा है।
युवाओं के लिए व्यापार के अवसर
जिस उत्तर प्रदेश में कभी सैफई महोत्सव में बॉलीवुड की डांस पार्टियों का आयोजन किया जाता था, अब उसी उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट 2023 का आयोजन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ स्टार्टिंग बिजनेस जैसे नये प्रोजेक्ट्स लाकर युवाओं को बेहतर व्यापार के अवसर प्रदान करवाने में लगे हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से कुछ तो सीख लेनी ही चाहिए ताकि पंजाब के युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सके। लेकिन वहां तो युवाओं को अवसर प्रदान करने की जगह खालिस्तानी विचारधारा को फलने फूलने का अवसर दिया जा रहा है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि हर मूलभूत मोर्चे पर असफल हो रही मान सरकार पंजाब के सर्वनाश के बाद ही चैन की सांस लेगी।
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Parliament: प्रतिस्पर्धा कानूनों को बेहतर बनाने की जरूरत, संसदीय समिति ने की शिफारिश
गूगल पर अक्तूबर महीने में ही प्रतिस्पर्धा-रोधी गतिविधियों के लिए दो बार में करीब 2,274 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था। गूगल पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने जुर्माना लगाया था।
एक संसदीय पैनल ने गुरुवार को प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन करने और कानून को बेहतर बनाने की सिफारिश की है। पैनल ने कहा कि फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर जैसी फर्मों द्वारा प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवसाय प्रथाओं को विनियमित करने के लिए सरकार एक डिजिटल प्रतियोगिता अधिनियम बनाए। दरअसल, पिछले कुछ समय में सरकार और कई बड़ी टेक कंपनियों के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं और सरकार सोशल मीडिया फर्मों के नियमों को कड़ा कर रही है। बता दें कि बीते व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा कुछ दिनों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की ओर से गूगल और दुनिया की अन्य बड़ी कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
समिति ने गुरुवार को संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सरकार को एक निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी डिजिटल इकोसिस्टम सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल प्रतिस्पर्धा अधिनियम पर विचार करना चाहिए और इसे जल्द से जल्द पेश करना चाहिए। साथ ही नई जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को मजबूत करना जरूरी है।
पैनल ने एकाधिकार का मुकाबला करने के लिए व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों के रूप में टॉप टेक कंपनियों की पहचान की सिफारिश की और चेतावनी दी कि आपूर्ति और बिक्री बाजारों में मध्यस्थों के रूप में कार्य करते समय उन्हें "प्रतिस्पर्धियों के प्रस्तावों पर अपने स्वयं के प्रस्तावों का पक्ष नहीं लेना चाहिए"। बता दें कि अमेजन और उसका प्रतिद्वंद्वी फ्लिपकार्ट देश में प्रतिस्पर्धा कानून का सामना कर रहे हैं। इन फर्म पर वेबसाइटों पर पसंदीदा विक्रेताओं को बढ़ावा देना और कुछ विक्रेताओं द्वारा लिस्टिंग को प्राथमिकता देने जैसे आरोप हैं।
गूगल पर लगा था हजारों करोड़ का जुर्माना
गूगल पर अक्तूबर महीने में ही प्रतिस्पर्धा-रोधी गतिविधियों के लिए दो बार में करीब 2,274 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था। गूगल पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने जुर्माना लगाया था। गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग कर प्रतिस्पर्धा को बाधित करने का आरोप था। इससे पहले आयोग ने कहा था कि मेटा प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन वर्गीकृत विज्ञापन कंपनियों पर अनुचित व्यापारिक शर्तें भी लागू करता है, जो कि अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करना है और यह प्रतिस्पर्धा-रोधी नियमों का उल्लंघन है।
विस्तार
एक संसदीय पैनल ने गुरुवार को प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन करने और कानून को बेहतर बनाने की सिफारिश की है। पैनल ने कहा कि फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर जैसी फर्मों द्वारा प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवसाय प्रथाओं को विनियमित करने के लिए सरकार एक डिजिटल प्रतियोगिता अधिनियम बनाए। दरअसल, पिछले कुछ समय में सरकार और कई बड़ी टेक कंपनियों के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं और सरकार सोशल मीडिया फर्मों के नियमों को कड़ा कर रही है। बता दें कि बीते कुछ दिनों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की ओर से गूगल और दुनिया की अन्य बड़ी कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
समिति ने गुरुवार को संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सरकार को एक निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी डिजिटल इकोसिस्टम सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल प्रतिस्पर्धा अधिनियम पर विचार करना चाहिए और इसे जल्द से जल्द पेश करना चाहिए। साथ ही नई जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को मजबूत करना जरूरी है।
पैनल ने एकाधिकार का मुकाबला करने के लिए व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों के रूप में टॉप टेक कंपनियों की पहचान की सिफारिश की और चेतावनी दी कि आपूर्ति और बिक्री बाजारों में मध्यस्थों के रूप में व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा कार्य करते समय उन्हें "प्रतिस्पर्धियों के प्रस्तावों पर अपने स्वयं के प्रस्तावों का पक्ष नहीं लेना चाहिए"। बता दें कि अमेजन और उसका प्रतिद्वंद्वी फ्लिपकार्ट देश में प्रतिस्पर्धा कानून का सामना कर रहे हैं। इन फर्म पर वेबसाइटों पर पसंदीदा विक्रेताओं को बढ़ावा देना और कुछ विक्रेताओं द्वारा लिस्टिंग को प्राथमिकता देने जैसे आरोप हैं।
गूगल पर लगा था हजारों करोड़ का जुर्माना
गूगल पर अक्तूबर महीने में ही प्रतिस्पर्धा-रोधी गतिविधियों के लिए दो बार में करीब 2,274 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था। गूगल पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने जुर्माना लगाया था। गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग कर प्रतिस्पर्धा को बाधित करने का आरोप था। इससे पहले आयोग ने कहा था कि मेटा प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन वर्गीकृत विज्ञापन कंपनियों पर अनुचित व्यापारिक शर्तें भी लागू करता है, जो कि अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करना है और यह प्रतिस्पर्धा-रोधी नियमों का उल्लंघन है।
भगवंत मान निवेशकों को ढूंढ रहे हैं, निवेशक योगी को चुन रहे हैं
पंजाब के उद्योगपति उत्तर प्रदेश को व्यापार के लिए एक सुरक्षित स्थान समझते हैं और इसी सोच के साथ यूपी में निवेश करने की योजना भी बना रहे हैं।
Investment in Uttar Pradesh: आम आदमी पार्टी के शासन काल में पंजाब की स्थिति डावांडोल हो चुकी है, राज्य में कानून व्यवस्था बेहाल है, यह राज्य नशे के मकड़जाल में फंस चुका है। किसी भी राज्य सरकार की मूल जिम्मेदारी वहां के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है लेकिन भगवंत मान सरकार है कि इस मामले में पूरी तरह से असफल साबित हुई है। ऐसे में अब वहां के उद्योगपति पंजाब छोड़-छोड़कर भाग रहे हैं, ये लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ की शरण में आना चाहते हैं।
व्यापार के लिए एक सुरक्षित स्थान
दरअसल, पंजाब के उद्योगपति उत्तर प्रदेश को व्यापार के लिए एक सुरक्षित स्थान समझते हैं और इसी सोच के साथ उत्तर प्रदेश में निवेश (Investment in Uttar Pradesh) करने की योजना भी बना रहे हैं। देखिए कैसी विचित्र स्थिति है कि एक तरफ तो पंजाब के उद्योगपति पंजाब छोड़कर यूपी की तरफ भाग रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब के सीएम भगवंत मान पंजाब में निवेश करने के लिए हैदराबाद और चेन्नई में निवेशकों को खोजते फिर रहे हैं। दर-दर जाकर भगवंत मान दूसरे राज्यों के उद्योगपतियों व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा को पंजाब में उद्योग करने की संभावनाओं को बता रहे हैं।
दरअसल, करीब 50 उद्योगपतियों ने हाल ही में सीएम योगी आदित्यानाथ से लखनऊ आकर मुलाकात की है और Uttar Pradesh में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये के Investment का वादा भी कर दिया है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यानाथ से मुलाकात करने वाले उद्योगपतियों में पंजाब के उद्योगपतियों की अच्छी संख्या थी। जानकारी के अनुसार, पंजाब के उद्योगपतियों के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के प्रस्ताव दिए गए और पंजाब के साइकिल, ऑटो पार्ट्स, रंगाई और बॉयलर उद्योग ने भी Uttar Pradesh में Investment करने में रुचि दिखाई।
अपराध के दल-दल में फंसा पंजाब
उद्योगपतियों की पंजाब छोड़कर यूपी में व्यापार (Investment in Uttar Pradesh) करने की रुचि बताती है कि पंजाब भगवंत मान सरकार के नेतृत्व में आर्थिक रूप से गर्त में पहुंचने के लिए तैयार है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पहले से और अधिक अच्छी हुई है। जिसके बाद राज्य से बाहर के लोग भी यहां स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। व्यापारी तो अपराध के दल-दल में फंसे पंजाब से अपना व्यापार उत्तर प्रदेश में शिफ्ट तक करने की योजना बना रहे हैं। पंजाब की भगवंत मान सरकार के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता है।
एक समय ऐसा था जब बिगड़ती कानून व्यवस्था के कारण, निवेशक और कंपनियां Uttar Pradesh में Investment करने से बचती थीं। दंगे, लूट और हिंसा के कारण एक समय में चर्चा में रहे इस राज्य में कंपनियां निवेश करने से कतराती थीं लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद, कानून और व्यवस्था में आए सुधार ने यहां के युवाओं के लिए रोजगार और अन्य अवसर पैदा करने में बहुत मदद की है। उत्तर प्रदेश आज सीएम योगी आदित्यानाथ के नेतृत्व में व्यापार के लिए बेहतर माहौल तैयार करने में लगा है।
युवाओं के लिए व्यापार के अवसर
जिस उत्तर प्रदेश में कभी सैफई महोत्सव में बॉलीवुड की डांस पार्टियों का आयोजन किया जाता था, अब उसी उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट 2023 का आयोजन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ स्टार्टिंग बिजनेस जैसे नये प्रोजेक्ट्स लाकर युवाओं को बेहतर व्यापार के अवसर प्रदान करवाने में लगे हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से कुछ तो सीख लेनी ही चाहिए ताकि पंजाब के युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो सके। लेकिन वहां तो युवाओं को अवसर प्रदान करने की जगह खालिस्तानी विचारधारा व्यापारियों और व्यापार प्रस्तावों के लिए शर्तों की समीक्षा को फलने फूलने का अवसर दिया जा रहा है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि हर मूलभूत मोर्चे पर असफल हो रही मान सरकार पंजाब के सर्वनाश के बाद ही चैन की सांस लेगी।
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