कमोडिटी ईटीएफ़ में मुख्यतः कृषि द्वारा उत्पादित चीजों, महँगी धातुओं जैसे-गोल्ड, सिल्वर इत्यादि और पेट्रोलियम को भी शामिल किया जाता है. इसके साथ में यह शेयरों में ट्रेडिंग के लिए भी सक्षम होता है.

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BFSI Summit: सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड होगा निजी क्षेत्र के लिए बेंचमार्क

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि ईएसजी से जुड़े रुपया बॉन्ड के जरिये रकम जुटाने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए केंद्र सरकार के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड की प्राइसिंग बेंचमार्क (कीमत तय करने के पैमाने) के तौर पर काम कर सकती है। डिप्टी गवर्नर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में ये बातें कहीं। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि सरकार चालू वित्त वर्ष में अपने बाजार उधारी कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी।

राव ने कहा, ‘ग्रीन बॉन्ड के जरिये सरकार जो रकम जुटाएगी उसका इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में होगा, जिससे अर्थव्यवस्था में कार्बन का हिस्सा घटाने में मदद मिलेगी। इसे किसी भी मायने में छोटा कदम नहीं माना जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड भारत में निजी क्षेत्र की इकाइयों की रुपये वाली उधारी (ईएसजी से जुड़े ऋण) के लिए कीमत संदर्भ भी मुहैया कराएगा।’ राव के अनुसार इस तरह के बॉन्ड जारी होने से ऐसी व्यवस्था बनेगी, जिसमें ज्यादातर पूंजी हरित परियोजना में लगाए जाने को प्रोत्साहन मिलेगा।

पिछले महीने सीतारमण ने भारत के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड के खाके को मंजूरी दी

राव ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस क्षेत्र में ठोस प्रयासों की आवश्यकता समझता है। इसलिए भारत के संदर्भ में जलवायु जोखिम और स्थायी वित्त के क्षेत्र में नियामक पहल का नेतृत्व करने के उद्देश्य से मई 2021 में उसने अपने विनियमन विभाग के अंतर्गत स्थायी वित्त समूह की स्थापना की है। पिछले महीने सीतारमण ने भारत के सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड के खाके को मंजूरी दी थी। इससे पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर तय योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों के प्रति भारत का संकल्प और मजबूत होगा। इसके साथ ही यह पात्र हरित परियोजनाओं में वैश्विक और घरेलू निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा।

वाणिज्यिक बैंक और वित्तीय संस्थानों को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ बताते हुए राव ने कहा कि यह ‘ध्यान देने योग्य’ है कि भारत के प्रमुख बैंकों ने भी हाल के वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपना निवेश बढ़ाना शुरू कर दिया है। स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना उन्होंने कहा, ‘निवेश की इस रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत ऋण आवंटन के दृ​ष्टिकोण में कई संरचनात्मक बदलाव करने की जरूरत हो सकती है, जिनमें परियोजनाओं के हरित प्रत्यय पत्रों का मूल्यांकन और प्रमाणन शामिल है। ग्रीन फाइनैंस को बढ़ावा देने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को मानव संसाधन तथा क्षमता निर्माण के प्रयासों में निवेश करना होगा और पर्यावरण व सामाजिक जोखिमों को अपने कॉरपोरेट क्रेडिट मूल्यांकन तंत्र में शामिल करना होगा।’

वित्तीय क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका

ग्रीन फाइनैंस को बढ़ावा देने की राह में आने वाली चुनौतियों में से एक है तीसरे पक्ष के सत्यापन/आश्वासन और प्रभाव मूल्यांकन तथा कारोबार एवं परियोजनाओं की हरित साख के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र की उपलब्धता। राव ने कहा, ‘यह संभावित ग्रीनवाशिंग की चिंता को भी दूर करेगा और इकाइयों के लिए पूंजी का निर्बाध प्रवाह एवं धन सुनिश्चित करेगा।’ उन्होंने कहा कि डेटा और खुलासे की उपलब्धता की चुनौती जल्द दूर करने की जरूरत है। राव ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 1000 सूचीबद्ध इकाइयों के लिए खुलासा मानदंड निर्धारित करना स्वागत योग्य कदम है।

उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह क्षेत्र व्यवसाय को वित्त प्रदान करता है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि व्यावसायिक रणनीति और संचालन में जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों के स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना संभावित प्रभाव को समझने और आकलन करने के लिए व्यापक ढांचा विकसित करने तथा उसे लागू करने के लिए नियामक संस्थाओं की स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना आवश्यकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे चरण में है, जहां तेजी से बढ़ने की आवश्यकता है लेकिन जलवायु जोखिम और ईएसजी से संबंधित विचारों को वाणिज्यिक उधारी एवं निवेश निर्णयों में शामिल करने के तरीके विकसित करने और उधारी विस्तार, आ​र्थिक वृद्धि तथा सामाजिक विकास की जरूरतों को संतुलित करने की है। राव ने कहा, ‘सामूहिक जुड़ाव हमारी शुरुआती प्रगति में मदद करेगा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में लंबा सफर तय करेगा।’

SEBI का बड़ा फैसला, स्‍टॉक एक्‍सचेंज से नहीं हो सकेगा Share Buyback, निवेशकों को क्‍या होगा फायदा?

SEBI का बड़ा फैसला, स्‍टॉक एक्‍सचेंज से नहीं हो सकेगा Share Buyback, निवेशकों को क्‍या होगा फायदा?

Share Buyback Rules: अब स्‍टॉक एक्‍सचेंज के जरिए शेयर बायबैक नहीं हो सकेगा.

SEBI Changes Stock Market Rules: अब स्‍टॉक एक्‍सचेंज के जरिए शेयर बायबैक नहीं हो सकेगा. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के निदेशक मंडल ने कंपनियों की ओर से स्‍टॉक एक्‍सचेंज के जरिये की जाने वाली शेयर बायबैक की व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म करने का फैसला किया है. सेबी स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना के निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला किया गया.. केकी मिस्त्री की रिपोर्ट में बताई गई सिफारिशों पर अमल करते हुए सेबी के बोर्ड ने ये फैसला किया है. मौजूदा समय में कंपनियां ओपन मार्केट से शेयरों को वापस खरीदती हैं, सेबी अब इस व्यवस्था को बदलने जा रहीर है. इसके अलावा भी मार्केट रेगुलेटर ने बाजार को लेकर कई नियमों में बदलाव किया है.

‘ग्रीनवॉशिंग’ पर लगेगा अंकुश

इसके अलावा ‘ग्रीनवॉशिंग’ पर अंकुश के लिए मानकों में संशोधन का फैसला भी किया गया. इसके तहत सेबी ने ब्लू बॉन्ड और येलो बॉन्ड की संकल्पना भी पेश की. सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने कहा कि नियामक ने शेयर बाजार से शेयर बायबैक के तरीके में पक्षपात की आशंका को देखते हुए अब टेंडर ऑफर रूट को वरीयता देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि स्‍टॉक एक्‍सचेंज के जरिये शेयर बायबैक करने की मौजूदा व्‍यवस्‍था को धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा.

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रकम के इस्‍तेमाल पर नियम

निदेशक मंडल ने यह भी तय किया है कि शेयर बायबैक से जुटाई गई राशि का 75 फीसदी हिस्सा कंपनियों को इस्तेमाल करना होगा. अभी तक यह सीमा 50 फीसदी ही थी. सेबी ने यह भी कहा कि मौजूदा व्यवस्था बने रहने तक बायबैक की प्रक्रिया के लिए एक्सचेंज पर एक अलग विंडो शुरू किया जाएगा.

बायबैक में शेयरों की खरीद मौजूदा बाजार भाव पर होने से अधिकांश शेयरधारकों के लिए शेयरों का स्वीकृत होना काफी हद तक संयोग पर निर्भर होता है. यह साफ नहीं होता है कि शेयरों को बायबैक के तहत लिया गया है या उन्हें ओपेन मार्केट में बेचा गया है. इसकी वजह से शेयरधारक बायबैक के लाभ का दावा भी नहीं कर पाते हैं. इन समस्याओं को देखते हुए सेबी के निदेशक मंडल ने शेयर बायबैक के नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है.

म्‍यूचुअल फंड्स: क्‍या हुआ बदलाव

सेबी ने म्यूचुअल फंड योजनाओं के डायरेक्ट प्लान के लिए ‘सिर्फ क्रियान्वयन वाले मंच’ (ईओपी) का एक नियामकीय प्रारूप लाने का भी फैसला किया है. निवेश के आकर्षक साधन के तौर पर म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रसार बढ़ाने के लिए सेबी यह प्रारूप लाने वाला है. फिलहाल निवेश सलाहकार एवं शेयर ब्रोकर म्यूचुअल फंड योजनाओं के डायरेक्ट प्लान की खरीद और भुगतान जैसी सेवाएं देते हैं. लेकिन इनके लिए अभी कोई नियामकीय प्रारूप नहीं है. सेबी ने कहा कि नियामकीय प्रारूप आने से ईओपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को सहूलियत होगी.

सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले समय को घटाने और मार्केट में लगातार वित्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ग्रीनवॉशिंग पर अंकुश के मानकों में संशोधन का फैसला भी किया है. सेबी बोर्ड ने निवेश बाजार में भी बॉन्‍ड के रंग निर्धारित करने का फैसला किया. हरे रंग का बॉन्‍ड प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों से जुड़े कर्ज के लिए होगा. जबकि नीले रंग का बॉन्‍ड जल प्रबंधन से जुड़े कर्ज के लिए और पीले रंग के बॉन्‍ड सौर ऊर्जा से जुड़े कर्ज के लिए होंगे.

Sovereign Gold Bond Scheme: बड़ी काम की है ये सरकारी स्कीम, मिलेगा शानदार फायदा, पढ़े पूरी डिटेल

Sovereign Gold Bond Scheme: बड़ी काम की है ये सरकारी स्कीम, मिलेगा शानदार फायदा, पढ़े पूरी डिटेल

Sovereign Gold Bond Scheme: जो लोग सोना खरीदना चाहते हैं, उसमें निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए एक बार फिर सॉवरेन गोल्ड बॉऩ्ड स्कीम शुरु हो रही है जिसमें आप एक तरीके से सस्ता सोना खरीद सकते हैं. सोने के लिए अपने बजट के बराबर पैसा लगाकर शानदार मुनाफा हासिल कर सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2022-23 सीरीज 3 का सब्सक्रिप्शन शुरू कर दिया है, जो पांच दिनों के लिए ओपन रहेगा. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का इशू प्राइस 999 शुद्ध सोने की कीमत के आधार पर तय होता. इस बार नई किस्त का इशू प्राइस 5409 रुपये प्रतिग्राम रखा गया है.

Gold Bond: सोने में लगाना चाहते हैं पैसा तो आपके पास है बड़ा मौका, सरकार से इतने रुपए में खरीद सकते हैं गोल्ड

सोना एक ऐसी संपत्ति है, जो भविष्य में कभी भी काम आ सकता है। पिछले कुछ सालों में सोने के दाम तेजी से बढ़े हैं। फिलहाल सोने की कीमत 54000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास है। ऐसे में अगर आप भी सोने में पैसा निवेश करना चाहते हैं तो 19 दिसंबर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (SGB) 2022-23 की नई सीरिज खुलने वाली है।

Sovereign Gold Bond Opens on 19th december for investment, Know the details kpg

Sovereign Gold Bond Scheme: सोना एक ऐसी संपत्ति है, जो भविष्य में कभी भी काम आ सकता है। पिछले कुछ सालों में सोने के दाम तेजी से बढ़े हैं। फिलहाल सोने की कीमत 54000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास है। हालांकि, आने वाले समय में सोने के दाम 60 हजार रुपए तोला से भी ज्यादा होंगे। ऐसे में अगर आप भी सोने में पैसा निवेश करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। 19 दिसंबर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (SGB) 2022-23 की नई सीरिज खुलने वाली है। सोमवार को रिजर्व बैंक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (Sovereign Gold Bond Scheme) जारी करेगा। सरकारी गोल्ड बॉन्ड (SGB) की तीसरी सीरिज सब्सक्रिप्शन के लिए 19 दिसंबर से 23 दिसंबर के बीच खुली रहेगी।

ETF क्या है? What’s Exchange Traded Fund Hindi

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ETF का फुलफॉर्म होता है- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानि अगर सरल शब्दों में समझें की ETF क्या है? तो ऐसा फंड जो एक्सचेंज पर ख़रीदा और बेचा जा सके उसे ETF (Exchange Traded Fund) कहते है. इसे म्यूच्यूअल फंड के अल्टरनेट के तौर पर भी समझ सकते है. लेकिन स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना जब हम म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते हैं तो हम किसी म्यूच्यूअल फंड कंपनी के माध्यम से निवेश करते हैं, जिसमें फंड मैनेजर होता है जो हमारे पैसे को अपने अनुसार मैनेज करता है. और ईटीएफ़ एक्सचेंज जैसे-बीएससी या फिर एनएससी से ख़रीदा जाता है.

अगर दूसरे शब्दों में समझें की ETF क्या है तो “ईटीएफ़ एक प्रकार का इन्वेस्टमेंट है जिसे स्टॉक एक्सचेंजों पर ख़रीदा और बेचा जाता है, इसमें बांड्स या स्टॉक्स की ख़रीद और बिक्री होती है.” Exchange Traded Fund एक तरह से म्यूच्यूअल फंड जैसे ही होते हैं, पर ईटीएफ़ को ट्रेडिंग की अवधि के दौरान किसी भी टाइम ख़रीदा और बेचा जा सकता है. ऐसे में ईटीएफ़ का मतलब होता है की आप इसे एक्सचेंज से ही ख़रीद और बेच सकते हैं. यानि इसे किसी भी म्युचुअल फंड कंपनी से नहीं ख़रीद सकते.

ETF कैसे काम करता है? How do ETFs work in Hindi

जैसा की हम सभी को पता है की देश में दो एक्सचेंज, BSE और NSE हैं जो ट्रेडिंग कराते है, इन एक्सचेंजों का स्टॉक मार्केट में जिस तरह से परफॉरमेंस रहेगा, वैसा ही ईटीएफ़ का भी परफॉरमेंस रहेगा. अगर BSE और NSE अच्छा प्रदर्शन कर रह हैं तो ईटीएफ़ भी अच्छा प्रदर्शन करेगा, और अगर एक्सचेंजों का ही प्रदर्शन ख़राब होगा तो ईटीएफ़ का भी प्रदर्शन ख़राब रहेगा, क्योंकि ईटीएफ़ एक्सचेंज से ही ख़रीदा और बेचा जाता है. 2021 में बीएससी और एनएससी ने अच्छा प्रदर्शन किया है इसलिए ईटीएफ़ में निवेश को लेकर लोगों की दिलचस्वी बढ़ी है. ईटीएफ़ में स्टॉक्स, फंड के अलावा कमोडिटी और करेंसी को भी शामिल किया जाता है.

ईटीएफ़ के प्रकार कुछ इस तरह से है.

  • बॉन्ड ईटीएफ़
  • इंडेक्स ईटीएफ़
  • कमोडिटी ईटीएफ़
  • करेंसी ईटीएफ़

ETF के फ़ायदे (Advantages of ETF)

ईटीएफ़ के फ़ायदे निम्नलिखित है.

  • ईटीएफ़ में अलग-अलग सेक्टर्स में निवेश किया जा सकता है, जैसे-बांड, कमोडिटी, स्टॉक्स करेंसी etc.
  • ईटीएफ़ के डेवीडेंट पर आयकर नहीं देना होता है.
  • हर ईटीएफ़ पर फंड मैनेजर मौजूद होते हैं इसलिए निवेशक को ख़रीद और बिक्री नहीं करनी पड़ती है.
  • ईटीएफ़ को ख़रीदना और बेचना बिल्कुल आसान होता है.

ETF vs Mutual Fund in Hindi

ईटीएफ़म्यूच्यूअल फंड
ईटीएफ़ में निवेश करने के लिए किसी भी फंड मैनेजर की ज़रूरत नहीं होती है.म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के लिए फंड मैनेजर की जरूरत होती है.
ईटीएफ़ में निवेशकों को पोर्टफ़ोलियो मैनेज करने के लिए कोई विशेष चार्ज नहीं देना होता है.म्यूच्यूअल फंड में निवेशकों को पोर्टफ़ोलियो को मैनेज करने के लिए चार्ज देना होता है.
ईटीएफ शेयरों की तरह ट्रेड करते हैं और स्टॉक एक्सचेंज में खरीदे और बेचे जाते हैं, पूरे दिन कीमतों में बदलाव का अनुभव करते हैं. इसका मतलब यह है कि जिस कीमत पर आप ईटीएफ खरीदते हैं, वह अन्य निवेशकों द्वारा भुगतान की गई कीमतों से अलग होने की संभावना है.म्युचुअल फंड ऑर्डर प्रति दिन एक बार निष्पादित किए जाते हैं, उसी दिन सभी निवेशकों को समान प्राइस प्राप्त होता है.
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