साइबर हमले से बचने के लिए कंपनियां देती हैं साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी,

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हाल ही में कई साइबर क्राइम होने के बाद लोग साइबर सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए हैं। ज्यादातर डिजिटल होने के दौर में हैकर्स साइबर क्राइम करने के लिए नई-नई तरकीब निकाल लेते हैं। ऐसे में साइबर हमले का शिकार बनने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इससे बचने का एक तरीका है साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी। भारत वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है में बजाज एलियांज सहित कई बीमा कंपनी ऐसी बीमा पॉलिसी की पेशकश कर रही है जिससे आपको राहत मिलेगी. हम इस खबर में आपको साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं।

क्या होगा कवर?

स्कीम को साइबर हमले के कारण संबंधित खर्चों को कवर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसे, वित्तीय घाटा, साइबर हमलों के कारण पॉलिसीधारक को ऑनलाइन नुकसान गए धन की रिकवरी पॉलिसी में कवर की जाती है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रकार की नीतियां निश्चित रूप से बहुत मदद करेंगी, क्योंकि भारत तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और नेट बैंकिंग और कई अन्य ऑनलाइन लेनदेन प्रणालियों का उपयोग भी बहुत बढ़ गया है। इसमें साइबर हमले के संबंध में सलाहकार शुल्क, अदालती खर्च और कानूनी शुल्क का भी ध्यान रखा जाता है। फिशिंग, ईमेल स्पूफिंग, सोशल मीडिया पर पहचान की चोरी से होने वाली क्षति, साइबर स्टॉकिंग (किसी को बार-बार ई-मेल भेजकर धमकाना), मैलवेयर अटैक के कारण नुकसान।

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हाल ही में कई साइबर क्राइम होने के बाद लोग साइबर सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए हैं। ज्यादातर डिजिटल होने के दौर में हैकर्स साइबर क्राइम करने के लिए नई-नई तरकीब निकाल लेते हैं। ऐसे में साइबर हमले का शिकार बनने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इससे बचने का एक तरीका है साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी। भारत में बजाज एलियांज सहित कई बीमा कंपनी ऐसी बीमा पॉलिसी की पेशकश कर रही है जिससे आपको राहत मिलेगी. हम इस खबर में आपको साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं।

क्या होगा कवर?

स्कीम को साइबर हमले के कारण संबंधित खर्चों को कवर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसे, वित्तीय घाटा, साइबर हमलों के कारण पॉलिसीधारक को ऑनलाइन नुकसान गए धन की रिकवरी पॉलिसी में कवर की जाती है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रकार की नीतियां निश्चित रूप वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है से बहुत मदद करेंगी, क्योंकि भारत तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और नेट बैंकिंग और कई अन्य ऑनलाइन लेनदेन प्रणालियों का उपयोग भी वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है बहुत बढ़ गया है। इसमें साइबर हमले के संबंध में सलाहकार शुल्क, अदालती खर्च और कानूनी शुल्क का भी ध्यान रखा जाता है। फिशिंग, ईमेल स्पूफिंग, सोशल मीडिया पर पहचान की चोरी से होने वाली क्षति, साइबर स्टॉकिंग (किसी को बार-बार ई-मेल भेजकर धमकाना), मैलवेयर अटैक के कारण नुकसान।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

प्रॉपर्टी वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है खरीदना और ज्यादा होगा सुरक्षित, इंश्योरेंस कंपनियां पेश करेंगी Title Insurance, जानें क्या होगा फायदा

Title इंश्योरेंस क्षतिपूर्ति बीमा का एक रूप है. यह संपत्ति के संभावित मालिक को वास्तविक संपत्ति के Title में गड़बड़ियों के कारण वित्तीय नुकसान से बचाता है.

प्रॉपर्टी खरीदना और ज्यादा होगा सुरक्षित, इंश्योरेंस कंपनियां पेश करेंगी Title Insurance, जानें क्या होगा फायदा

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Sep 14, 2021 | 7:53 AM

टाइटल (Title) एक लीगल टर्म है जिसका उपयोग किसी संपत्ति के सच्चे मालिक या मालिकों को पहचानने के लिए किया जाता है. एक घर के मालिक के सामने सबसे बड़ा जोखिम उसकी संपत्ति को देश की एक सक्षम अदालत द्वारा अवैध घोषित किया जाना है. इसे ध्यान में रखते हुए, बीमा नियामक, IRDAI ने जनरल इंश्योरेंस कंपनियों (हेल्थ बीमाकर्ताओं को छोड़कर) को इंडिविजुअल घर मालिकों और आवंटियों के लिए नया Title इंश्योरेंस प्रोडक्ट लॉन्च करने के लिए कहा है.

बीमा नियामक इरडा ने संपत्ति खरीदने वालों को गलत दस्तावेज से सुरक्षा देने के लिये कदम उठाया है. उसने साधारण बीमा कंपनियों से संशोधित प्रारूप में संपत्ति खरीद से जुड़े दस्तावेज यानी टाइटल के जोखिम से बचाव के लिये यथाशीघ्र बीमा पॉलिसी पेश करने को कहा है.

Title बीमा क्षतिपूर्ति बीमा का एक रूप है. यह संपत्ति के संभावित मालिक को वास्तविक संपत्ति के Title में गड़बड़ियों के कारण वित्तीय नुकसान से बचाता है.

टाइटल इंश्योरेंस से कवर होगा नुकसान

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने गलत टाइटल के कारण नुकसान को लेकर कंपनियों (डेवलपर) के साथ-साथ व्यक्तियों की विधि के अनुसार देनदारी को ‘कवर’ करने के लिये Title इंश्योरेंस उत्पाद लाने के बारे में सुझाव देने को लेकर कार्यकारी समूह वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है का गठन किया था.

समूह की सिफारिश के आधार पर इरडा ने साधारण बीमा कंपनियों से संपत्ति की खरीद दस्तावेज को लेकर बीमा पॉलिसी लाने को कहा है.

भारत में टाइटल इंश्योरेंस प्रारंभिक अवस्था में है. इस पर इरडा का सर्कुलर देश में इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने में मदद करेगा. वर्तमान में, यह उत्पाद केवल भारतीय बाजार में प्रमोटरों/डेवलपर्स के लिए उपलब्ध है, इस सर्कुलर में नियामक ने अलॉटी/इंडिविजुअल खरीदार के लिए एक खुदरा नीति पेश करने का सुझाव दिया है.

साइबर इंश्योरेंस को लेकर IRDAI ने जारी किए नया नियम

8 सितंबर को IRDAI की तरफ से जारी ताजा सर्कुलर के मुताबिक, इंडिविजुअल वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है साइबर इंश्योरेंस में फंड चोरी, आइडेंटिटी चोरी, अन-ऑथराइज्ड ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, ईमेल स्पूफिंग जैसी घटनाओं को शामिल करना जरूरी कर दिया गया है.

नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी CERT-In (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम ऑफ इंडिया) के मुताबिक, कोरोना काल में इंडिविजुअल नेटवर्क पर ज्यादा साइबर अटैक हो रहे हैं. लोग घरों पर काम कर रहे हैं ऐसे में साइबर फ्रॉड पर्सनल कंप्यूटर और नेटवर्क को निशाना बना रहे हैं.

IRDAI के सर्कुलर के मुताबिक, इंडिविजुअल साइबर इंश्योरेंस के लिए कुछ नियम होंगे, जैसे फंड का चोरी होना, आइडेंटिटी का चोरी होना, सोशल मीडिया डेटा का चोरी होना, साइबर स्टॉकिंग/बुलिंग, मैलवेयर कवर, फिशिंग कवर, अन-ऑथराइज्ड वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, ईमेल स्पूफिंग, मीडिया लाएबिलिटी क्लेम, साइबर एक्सटॉर्शन, डेटा ब्रीचिंग और प्राइवेसी ब्रीचिंग को इसमें कवर करना जरूरी होगा.

साइबर हमले से बचने के लिए कंपनियां देती हैं साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी,

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हाल ही में कई साइबर क्राइम होने के बाद लोग साइबर सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए हैं। ज्यादातर डिजिटल होने के दौर में हैकर्स साइबर क्राइम करने के लिए नई-नई तरकीब निकाल लेते हैं। ऐसे में साइबर हमले का शिकार बनने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इससे बचने का एक तरीका है साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी। भारत में बजाज एलियांज सहित कई बीमा कंपनी ऐसी बीमा पॉलिसी की पेशकश कर रही है जिससे आपको राहत मिलेगी. हम इस खबर में आपको साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं।

क्या होगा कवर?

स्कीम को साइबर हमले के कारण संबंधित खर्चों को कवर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसे, वित्तीय घाटा, साइबर हमलों वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है के कारण पॉलिसीधारक को ऑनलाइन नुकसान गए धन की रिकवरी पॉलिसी में कवर की जाती है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रकार की नीतियां निश्चित रूप से बहुत मदद करेंगी, क्योंकि भारत तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और नेट बैंकिंग और कई अन्य ऑनलाइन लेनदेन प्रणालियों का उपयोग भी बहुत बढ़ गया है। इसमें साइबर हमले के संबंध में सलाहकार शुल्क, अदालती खर्च और कानूनी शुल्क का भी ध्यान रखा जाता है। फिशिंग, ईमेल स्पूफिंग, सोशल मीडिया पर पहचान की चोरी से होने वाली क्षति, साइबर स्टॉकिंग (किसी को बार-बार ई-मेल भेजकर धमकाना), मैलवेयर अटैक के कारण नुकसान।

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हाल ही में कई साइबर क्राइम होने के बाद लोग साइबर सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए हैं। ज्यादातर डिजिटल होने के दौर में हैकर्स साइबर क्राइम करने के लिए नई-नई तरकीब निकाल लेते हैं। ऐसे में साइबर हमले का शिकार बनने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इससे बचने का एक तरीका है साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी। भारत में बजाज एलियांज सहित कई बीमा कंपनी ऐसी बीमा पॉलिसी की पेशकश कर रही है जिससे आपको राहत मिलेगी. हम इस खबर में आपको साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं।

क्या होगा कवर?

स्कीम को साइबर हमले के कारण संबंधित खर्चों को कवर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसे, वित्तीय घाटा, साइबर हमलों के कारण पॉलिसीधारक को ऑनलाइन नुकसान गए धन की रिकवरी पॉलिसी में कवर की जाती है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रकार की नीतियां निश्चित रूप से बहुत मदद करेंगी, क्योंकि भारत तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और नेट बैंकिंग और कई अन्य ऑनलाइन लेनदेन प्रणालियों का उपयोग भी बहुत बढ़ गया है। इसमें साइबर हमले के संबंध में सलाहकार शुल्क, अदालती खर्च और कानूनी शुल्क का भी ध्यान रखा जाता है। फिशिंग, ईमेल स्पूफिंग, सोशल मीडिया पर पहचान की चोरी से होने वाली क्षति, साइबर स्टॉकिंग (किसी को बार-बार ई-मेल भेजकर धमकाना), मैलवेयर अटैक के कारण नुकसान।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

IRDA: ऑनलाइन फर्जीवाड़े की भरपाई के लिए आएगी स्टैंडर्ड साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी

कोरोना संकट के बीच आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में ऑनलाइन की अहम भूमिका रही है। हालांकि, ऑनलाइन पर निर्भरता बढ़ने के साथ साइबर अपराध भी बढ़े है। हाल के दिनों में ऑनलाइन फर्जीवाड़े के मामले में.

IRDA: ऑनलाइन फर्जीवाड़े की भरपाई के लिए आएगी स्टैंडर्ड साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी

कोरोना संकट के बीच आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में ऑनलाइन की अहम भूमिका रही है। हालांकि, ऑनलाइन पर निर्भरता बढ़ने के साथ साइबर अपराध भी बढ़े है। हाल के दिनों में ऑनलाइन फर्जीवाड़े के मामले में बड़ा उछाल आया है। इसको देखते हुए बीमा नियामक इरडा ने स्टैंडर्ड साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है। वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है

बीमा नियामक ने एक पैनल बनाया है जो बेसिक स्टैंडर्ड इंश्योरेंस की संभावनाएं तलाशेगा। यह नई पॉलिसी कम प्रीमियम के साथ स्टैंडर्ड कवर उपलब्ध कराने का काम करेगा। बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक बेहतर पहल है। इससे लोगों को कम लागत में साइबर फर्जीवाडे से होने वाले वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है नुकसान की भरपाई संभव हो पाएगी।

स्टैंडर्ड बीमा की जरूरत क्यों

मौजूदा समय मे जो साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी बीमा कंपनियां उपलब्घ करा रहीं है वो उपभोक्ता के हिसाब से डिजाइन किया जाता है। यानी उपभोक्ता अपनी जरूरत के हिसाब से पॉलिसी को बदल सकता है जिससे इसकी पहुंच बहुत सीमित हो जाती है। इसके चलते आम लोग इस पॉलिसी का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। वहीं, वर्तमान में लोगों के लिए साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी की शर्तें समझना भी आसान नहीं हैं। इसलिए स्टैंडर्ड पॉलिसी से बनाई जाएगी जिसकी शर्तें काफी आसान होंगी और सभी बीमा कंपनियों के लिए एक ही होंगी। इसके बाद आप पॉलिसी किसी भी बीमा कंपनी से खरीदेंगे शर्तों से लेकर लाभ सबकुछ एकसमान होगा।

सभी वैधानिक प्रावधानों का अध्ययन करेगी समिति

इरडा का मानना है कि कोरोना महामारी के दौरान साइबर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। डाटा चोरी के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में साइबर सिक्योरिटी सभी क्षेत्रों के लिए इस वक्त सबसे जरूरी है। इसी को देखते हुए इरडा ने नौ सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति की अध्यक्षता लायबिलिटी इंश्योरेंस के सलाहकार पी उमेश करेंगे। उनसे कहा गया है कि वो साइबर सिक्योरिटी को लेकर सभी वैधानिक प्रावधानों का अध्ययन करें। इसमें सभी तरह के कानूनी पहलुओं पर भी विचार करें। ये टीम मौजूदा और पिछली साइबर सिक्योरिटी घटनाओं का निरीक्षण करेगी और संभावित इंश्योरेंस कवर की रणनीति को तैयार करेगी। समिति अपनी रिपोर्ट दो माह के अंदर सौंपेगी।

मौजूदा पॉलिसी को समझना मुश्किल

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा पॉलिसी की शर्तें आम उपभोक्ता को समझना काफी मुश्किल है। इसके साथ ही उस पर प्रीमियम भी काफी महंगा है। मौजूदा समय में सिर्फ कंपनियां ही इस तरह की पॉलिसी ले रही हैं। स्टैंडर्ड पॉलिसी आने से प्रीमियम भी सस्ता होगा और शर्तों का समझना भी आसान होगा। उदाहरण के लिए अभी अगर कोई पांच लाख रुपये का साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदता है तो धोखाधड़ी के कारण वित्तीय नुकसान में 25 फीसदी की भरपाई बीमा कंपनी करती है। वहीं, अधिकांश कंपनियों में ईमेल स्पूफिंग की सीमा 15 फीसदी है।

साइबर सुरक्षा को लेकर खतरे बढ़ेंगे

भारत में साइबर अपराधों के कारण 2019 में 1.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आने वाले दिनों में साइबर सुरक्षा को लेकर खतरें बढ़ेंगे क्योंकि देश स्मार्ट शहर विकसित करने के साथ 5जी नेटवर्क समेत अन्य कदम उठा रहा है। नेशनल साइबर सिक्योरिटी समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल (डा.) राजेश पंत ने कहा कि कुछ ही भारतीय कंपनियां साइबर सुरक्षा से जुड़े उत्पाद बना रहे हैं और इस क्षेत्र में काफी कुछ करने की जरूरत है। पंत ने कहा कि मोबाइल जैसे उपकरणों को लेकर स्थिति नाजुक है। फोन जैसे उपकरणों का उपयोग लोग विभिन्न सेवाओं के लिये कर रहे हैं।उन्होंने कहा, ''हमने मोबाइल फोन पर साइबर हमलों का विश्लेषण किया। हमने पाया कि केवल ऐप ही नहीं बल्कि 15 अलग-अलग तत्व हैं, जिससे साइबर हमले हो सकते हैं। इसमें परिचालन प्रणाली, उसका प्रोसेसर, मेमोरी चिप, ब्लूटूथ और वाईफाई तक शामिल हैं।

मध्य प्रदेश समाचार

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हाल ही में गुना-शिवपुरी क्षेत्र से भाजपा सांसद केपी यादव के भाई अजय पाल सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद दिए बयान ने सिंधिया के पार्टी में आने के बाद अंतर्द्वंद्व से गुजर रहे नेताओं की स्थिति को चर्चा में ला दिया है।

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