इस सेक्टर के पक्ष में हैं विश्लेषक
इन कंपनियों में एक साल में अच्छा रिटर्न देने का दिख रहा है दमखम

NBFC Kya Hai

भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया

एनबीएफसी को मोटे तौर पर निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत किया गया है:

  1. देयताएं:
  2. जमा स्वीकार करने वाले एनबीएफसी और
  3. गैर-जमा भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया एनबीएफसी स्वीकार करते हैं,

(गैर-जमा लेने वाले एनबीएफसी को उनके आकार के अनुसार आगे वर्गीकृत किया गया है 🙂

  • कारक
  • बंधक गारंटी कंपनियां
  • निवेश क्रेडिट कंपनी
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड
  • माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन
  • नॉन-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी
  • व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी

NBFC लाइसेंस के लिए आवेदन निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी में किया जा सकता है:

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां – कारक (एनबीएफसी-कारक): ये एनबीएफसी हैं जो अपने प्रमुख व्यवसाय गतिविधि के रूप में फैक्टरिंग करते हैं। फैक्टरिंग एक वित्तीय लेनदेन है। एक प्रकार का ऋणी वित्त जिसमें कोई इकाई अपने चालान या बिल (खाता प्राप्य) को किसी तीसरे पक्ष (NBFC-Factor) को छूट पर बेच सकती है। इसे आमतौर पर बिल छूट या चालान वित्तपोषण के रूप में भी जाना जाता है।

HDFC सिक्योरिटीज Koo पर पदार्पण करने वाला बना पहला भारतीय ब्रोकरेज हाउस

भारत के प्रमुख ब्रोकिंग हाउसों में से एक, एचडीएफसी सिक्योरिटीज (HDFC Securities) ने अपने ग्राहकों तक पहुंचने और वित्तीय साक्षरता के व्यापक निर्माण के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म - कू (Koo) पर अपनी शुरुआत की। कू ऐप पर @hdfcsec HDFC Securities - hdfcsec Profile on Koo (kooapp.com) का उपयोग करते हुए, वो अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ग्राहकों के साथ बातचीत करने के लिए भारत के नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का लाभ उठाएंगे।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीएमओ और सीडीओ गगन सिंगला ने एसोसिएशन पर कहा, “हम कू (Koo) पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए बेहद उत्साहित हैं। कू की बहुभाषी पेशकशों के माध्यम भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया से, हम क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट बनाकर पूंजी बाजार को सीखने में लग रहे समय को कम करना चाहते हैं।''

कू (Koo) कैसे डाउनलोड करें

यह ऐप यूजर्स के लिए ऐप स्टोर और प्लेस्टोर पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध है। यूज़र्स के पास अपने मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी का उपयोग करके रजिस्ट्रेशन करने का विकल्प होता है। एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाने के बाद वे कू पर अपने पसंदीदा हस्तियों, एथलीटों, राजनेताओं, मनोरंजनकर्ताओं और विचारशील व्यक्तित्वों को फॉलो कर सकते हैं। कू यूज़र्स को उनकी मूल भाषाओं में संवाद करने की सुविधा देकर सशक्त बनाता है।

कू (Koo) की स्थापना मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के लिए बने एक माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच के रूप में की गई थी। कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध इस ऐप पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं। एक ऐसे देश में जहां भारत का सिर्फ 10% हिस्सा अंग्रेजी बोलता है, वहां एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गहरी जरूरत है जो भारतीय यूज़र्स को व्यापक भाषा अनुभव प्रदान कर सके और उन्हें आपस में जुड़ने में मदद कर सके। कू उन भारतीयों की आवाज़ के लिए एक मंच प्रदान करता है जो भारतीय भाषाओं में स्वयं को व्यक्त करना पसंद करते हैं।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज

एचडीएफसी सिक्योरिटीज भारत में अग्रणी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियों में से एक है और एक प्रसिद्ध निजी क्षेत्र के बैंक, एचडीएफसी बैंक की सहायक कंपनी है। स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी के रूप में, एचडीएफसी सिक्योरिटीज को संचालन में 20 से अधिक वर्ष हो चुके हैं। ये इक्विटी, गोल्ड, डेब्ट और रियल एस्टेट जैसे विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में उत्पादों और सेवाओं का एक पैकेज प्रदान करते हैं। इनमें स्टॉक, डेरिवेटिव, म्यूचुअल फंड,फिक्स्ड डिपॉज़िट, एनसीडी, बीमा, बांड और मुद्रा डेरिवेटिव में से कोई भी सेवा प्राप्त कर सकते हैं।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज व्यापार करने के लिए वेब 2.0 तकनीक प्रदान करती है और इनकी अत्याधुनिक तकनीक दोनों एक्सचेंज, बीएसई और एनएसई पर निर्बाध ट्रेडिंग अनुभव को सक्षम बनाती है।

ट्रेडिंग में एक दशक के अनुभव और ए1+1 की रेटिंग के साथ, एचडीएफसी सिक्योरिटीज की वित्तीय सेवा उद्योग में एक सिद्ध वंशावली है। साथ ही 200 से अधिक शाखाओं के माध्यम से ये ग्राहकों की निवेश आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

एनबीएफसी का विनियमन

भारत में 1950 दशक के अंतिम वर्षों में और 1960 दशक के प्रारंभिक वर्षों में विभिन्न बैंक असफल हुए जिसके कारण बड़ी संख्या में साधारण जमाकर्ताओं को अपनी जमाराशि गंवानी पड़ी। इस समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नोट किया गया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जमाराशि स्वीकार करने की गतिविधियां की जा रही हैं। यद्यपि वे प्रणालीगत रूप से बैंकों की तरह महत्वपूर्ण नहीं थी , बावजुद इसके भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इनका विनियमन प्रारंभ किया गया क्योंकि उनसे कारण उनके जमाकर्ताओं को नुकसान की संभावना थी।

इस प्रकार , 1963 के बाद इन संस्थाओं का विनियमन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया जाने लगा। तब से आम तौर पर इस क्षेत्र में विनियमन सहित प्रदर्शित गतिशीलता के साथ सामंजस्य रखा गया है।

बाद में 1996 में एक बड़ी एनबीएफसी के असफल होने पर रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर विनियामक ढांचा सख्त बनाय गया जिसमें सख्त पंजीकरण आवश्यकताओं , संवृद्धित रिपोर्टिंग और पर्यवेक्षण को शामिल भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया किया गया।

वित्तीय कंपनियों का विनियमन

कुछेक वित्तीय कारोबार के लिए विशेष विनियामक हैं जिनकी स्थापना क़ानून द्वारा , उन्हें विनियमित एवं उनका पर्यवेक्षण करने के लिए की गई है , जैसे-

  • बीमा कपनियों के लिए इरडा(आइआरडीए) ,
  • मर्चेंट भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया बैंकिंग कंपनी , वेंचर कैपिटल कंपनी ,
  • स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी तथा म्युचुअल फंडों के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(सेबी) , आवास वित्त कपंनियों के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी)
  • निधि कंपनियों के लिए कंपनी कार्य विभाग(डीसीए) और
  • चिट फंड कंपनियों के लिए राज्य सरकारें।

ऐसी कंपनियां जो वित्तीय कारोबार करती हैं किंतु उनका विनियमन अन्य विनियामकों द्वारा किया जाता है , उन्हें रिज़र्व बैंक ने कई प्रकार की विनियामक अपेक्षाओं से विशेष छूट प्रदान की है जैसे – पंजीकरण , चलनिधि परिसंपत्तियां बनाए रखना , सांविधिक आरक्षित निधि आदि।

भारत में एन.बी.एफ.सी. ऐसी कंपनियां किस अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं?

F1 Padam Deepak 18.12.2019 D1

IBPS Mains Admit Card released on 29th September 2022. The candidates who are qualified in the Prelims are eligible to attend the Mains examination. The Mains exam was held on 8th October 2022. Earlier, the IBPS Clerk Prelims Result was released on 21st September 2022. The selection process for the IBPS Clerk exam consists of भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया two stages - Prelims & Mains exam. A total of 6035 vacancies are available for the process of IBPS Clerk recruitment. The finally appointed candidates will be entitled to a pay scale of INR 11,765 to INR 31,540.

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पावर सेक्टर के इन 5 शेयरों में दिख रहा है दम

पावर सेक्टर के इन 5 शेयरों में दिख रहा है दम

सेक्टर में मौजूदा रिकवरी की वजह बढ़ती मांग और आपूर्ति में अंतर है. बिजली की मांग इस वर्ष लगभग 10 गीगा वॉट तक पहुंच गई. लेकिन, नई क्षमता न जुड़ने के कारण आपूर्ति में कमी रही.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में बिजली की खपत बढ़ रही है. इससे सेक्टर के प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) में सुधार होने की उम्मीद है. एक प्लांट वास्तव में कितनी बिजली भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया पैदा करता है और उसमें अधिकतम कितने की क्षमता है, पीएलएफ इनके बीच का अनुपात है.

पिछले कुछ वर्षों में आपूर्ति की किल्लत और औद्योगिक उपभोक्ताओं की ओर से मांग की कमी ने मांग-आपूर्ति में काफी अंतर तैयार कर दिया था. इसके चलते क्षमता में विस्तार नहीं हो रहा था. साथ ही थर्मल पावर सेक्टर में पीएलएफ घट रहे थे.

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