अफ्रीकी और एशियाई देशों ने यह दिखा दिया कि वे इस प्रतिस्पर्धा में भिड़ने आए हैं, सबसे बड़ा व्यापार मंच सबसे बड़ा व्यापार मंच न कि टीमों की संख्या बढ़ाने। यूरोपीय लीग के जलवे, धरातल पर मौजूद मजबूत व्यवस्था और कोचिंग की व्यापकता ने मोरक्को, सेनेगल, जापान और दक्षिण कोरिया की कोशिशों के आगे घुटने टेक दिए। ये चारों टीम प्री-क्वार्टरफाइनल में पहुंच चुकी है और इन्होंने अफ्रीका और एशिया के झंडे को आसमान में ऊंचा किया है। हालांकि, यह एक गंभीर सच्चाई है कि भारत ने कभी भी विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं किया है। सुनील छेत्री की मौजूदा टीम और आने वाले समय की टीमों की कोशिश होगी कि वे फुटबॉल की इस शिखर चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए पूरी
हैरतअंगेज: कतर विश्वकप में अफ्रीकी और एशियाई देशों का प्रदर्शन
कतर में चल रहे फीफा विश्वकप में अनिश्चितता की आंधी आई सबसे बड़ा व्यापार मंच हुई है। सांसें रोक देने वाले मुकाबलों में हार और जीत दोनों के बाद सितारा टीमों की आह और कमजोर मानी जाने वाली टीमों के पलटवार से कतर जगमगा रहा है। महामारी के दस्तक की चेतावनी और यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमलों में मची तबाही के बावजूद, फुटबॉल दुनिया का सबसे बड़ा खेल बना हुआ है और एक पखवाड़े से ज्यादा समय से पैर और गेंद के बीच के नृत्य ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। भले ही स्टेडियमों के निर्माण के दौरान मानवाधिकारों सबसे बड़ा व्यापार मंच के उल्लंघन की फुसफुसाहट हुई हो, लेकिन इस महा-आयोजन को बिना हंगामे के साथ आयोजित करने में कतर कामयाब रहा। मैदान के बाहर चलने वाली सबसे बड़ा व्यापार मंच घटनाओं से खेल बेखबर नहीं रह सकता और जब ईरान के खिलाड़ियों ने मैच से पहले राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने इस बात को प्रमुखता से रेखांकित किया। ईरान में समान अधिकार की लड़ाई लड़ रही महिलाओं के समर्थन में इन खिलाड़ियों ने यह कदम उस समय उठाया, जब ज्यादातर एथलीट राजनीतिक मामलों में अपना मुंह सिल लेते हैं। वर्ष 1930 में उरुग्वे में हुए पहले विश्वकप से अब तक इस चैंपियनशिप ने एक लंबा सफर तय कया है। वर्ष 1930 में अर्जेंटीना को हराकर मेजबान उरुग्वे चैंपियन बना था। इस बार, उरुग्वे बाहर हो चुका है और अर्जेंटीना की उम्मीद अभी बरकरार है। यह खेल में लगातार होने वाले बदलाव का एक संकेत है। दक्षिण अमेरिका और यूरोपीय देशों का फुटबॉल का पहलवान होने की छवि भी इस बार टूट रही है।
FIFA World Cup 2022: मजदूर का बेटा, कतर में कर रहा कमाल! अर्जेंटीना को फाइनल तक पहुंचाने वाले खिलाड़ी जूलियन अल्वारेज को जानिए
अर्जेंटीना के खिलाड़ी जूलियन अल्वारेज (Photo/Twitter)
शशिकांत सिंह
- नई दिल्ली,
- 14 दिसंबर 2022,
- (सबसे बड़ा व्यापार मंच Updated 14 दिसंबर 2022, 8:48 PM IST)
सेमीफाइनल में अर्जेंटीना के जीत के हीरो रहे जूलियन
अर्जेंटीना फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा गया है. सेमीफाइनल मैच के हीरो जूलियन अल्वारेज रहे. उन्होंने दो गोल दागकर अर्जेंटीना को फाइनल में पहुंचा दिया. 22 साल के जूलियन स्टार खिलाड़ी लियोनेल मेसी का अपना आदर्श मानते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि एक छोटे से शहर से निकलकर अल्वारेज कैसे दुनिया में मशूहर हो गए.
जूलियन का बचपन-
जूलियन अल्वारेज का जन्म 31 जनवरी 2000 को अर्जेंटीना सबसे बड़ा व्यापार मंच के एक छोटे से शहर कैलचिन में हुआ था. ये शहर मेसी के पैतृक घर वाले रोसारियो शहर से 350 किलोमीटर दूर है. उनके माता-पिता ने मजदूरी करके उनका पालन-पोषण किया. अर्जेंटीना में फुटबॉल एक सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा है, जैसे हमारे देश में क्रिकेट है. जूलियन बचपन से ही फुटबॉल के दीवाने रहे हैं. उनमें खेल के प्रति जुनून था.
11 साल की उम्र में जूलियन ने रियल मैड्रिड के लिए ट्रायल दिया था. लेकिन उनकी कम उम्र के चलते उनको अर्जेंटीना वापस आना पड़ा. स्पेन में नए एफए कानून की वजह से क्लब से विदेशी किशोरों का जुड़ना कठिन हो गया है.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और यूनिसेफ ने उद्योगपतियों और कॉरपोरेट्स से बच्चों और युवाओं में निवेश करने का आग्रह किया
मुंबई, भारत, 05 अक्टूबर 2018: यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरीएटा फोर ने आज यहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) में 'क्लोजिंग बेल' बजाकर आने वाले समय में बच्चों और युवाओं में निवेश करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस समारोह में श्री विक्रम लिमये, प्रबंध निदेशक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज; डॉ यास्मीन अली हक, राष्ट्र प्रतिनिधि, यूनिसेफ इंडिया; और श्री रितेश अग्रवाल, ओयो रूम्स के संस्थापक और सीईओ, भी मौजूद थे।
सबसे बड़ा व्यापार मंच
ओपेक, 14 प्रमुख तेल उत्पादक देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है जो एक साथ दुनिया के कच्चे तेल का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन करता है। ओपेक तेल निर्यात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार किए जाने वाले कुल पेट्रोलियम का लगभग 60 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है। भारत केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। ओपेक देशों से हमारा आयात हमारे कुल कच्चे तेल के आयात का 85 प्रतिशत और गैस आयात का 94 प्रतिशत है।
दूसरा भारत-ओपेक संस्थागत संवाद: दूसरा भारत-ओपेक संस्थागत संवाद 22-23 मई, 2017 के दौरान वियना में श्री धर्मेंद्र प्रधान, मंत्री, पीएनजी और ओपेक के महासचिव श्री मोहम्मद सानुसी बरकिंडो के बीच आयोजित किया गया था। मंत्री ने 'एशियाई प्रीमियम का भुगतान करने के बजाय एशियाई लाभांश' पर जोर दिया और ओपेक को "जिम्मेदार मूल्य निर्धारण" की दिशा में काम करने पर जोर दिया, जो भारत के सामाजिक-आर्थिक और विकासात्मक कारणों से भी महत्वपूर्ण है।
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