डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? [निवेश करने के प्रक्रिया की जानकारी]
दोस्तों, क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते है लेकिन बाजार के प्रतिदिन उतर चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते है ? आपके लिए डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) एक बेहतर विकल्प है। यह निवेशकों में बहुत लोकप्रिय और सुरक्षित है।
डिलीवरी ट्रेडिंग
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक शेयर को अपने डीमैट खाता में जमा करता है। डीमैट खाता (Demat Account) में निवेशक बिना किसी समय अवधि तक होल्ड करके रख सकता है और फिर इच्छानुसार कभी भी अपने शेयर को बेच सकता है। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर्स को एक दिन के अंदर ही शेयर खरीदने या बेचने की प्रतिबद्धता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने या बेचने के लिए कोई परिसीमा नहीं है। निवेशक दो दिन के अंदर या दो वर्षो बाद भी अपने शेयर को बेच सकता है।
निवेशक के पास पूर्ण अधिकार होता है की वह अपने इच्छा के अनुसार अपने शेयर को होल्ड या बेच सकता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मुनाफा बनाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को शेयर खरीदने से पहले उस कीमत के बराबर पैसे तैयार रखने होते है।
उदाहरण : यदि आप XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद रहे है जिसकी कीमत ₹ 15000 है तो आपके डीमैट खाता में ₹ 15000 की कैश रखना होगा। और यदि आप XYZ कंपनी के 110 शेयर बेचना (Sell) चाहते है तो 110 शेयर आपके डीमैट खाता में होना चाहिए।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक विभिन्न प्रकार से निवेश कर सकता है जो निम्नलिखित है
- इक्विटी
- फॉरेक्स
- कमोडिटी
- डेरीवेटिव
- म्यूच्यूअल फंड्स
डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम
आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।
- सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
- भविष्य में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
- अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
- सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
- बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
- टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
- आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?
कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।
यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।
लॉन्ग टर्म निवेश
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।
सुरक्षित
जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, आप स्टॉक खरीदने के बाद बोनस के लिए योग्य है। जब भी कंपनी कुछ बोनस शेयरों को रोल आउट करती है, तो निवेशक बोनस का दावा कर सकते हैं।
उच्च लाभ
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में निवेशकों को शेयर के रिटर्न्स के साथ बोनस भी मिलता है । इसलिए कुछ शेयर में आपके रिटर्न्स से भी ज्यादा रिटर्न्स मिलता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:
पहले से भुगतान
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।
अधिक ब्रोकरेज शुल्क
डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।
दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए कुछ मुलभुत नियमों का पालन करना आवश्यक है यदि आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं ले सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से निवेश कर सकते है। निवेशक को सदैव अलग-2 कंपनियों के शेयर में निवेश करना चाहिए यह आपके जोखिम को कम करता है।
अपने निवेश करने के चयन प्रक्रिया के बारें में जानकारी प्राप्त किया और साथ ही डिलीवरी ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुकसान के बारें में विस्तृत रूप से समझे।
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बुद्धि विकल्प समीक्षा
iq विकल्प की समीक्षा
ऑप्शन ट्रेडिंग सबसे अच्छे वित्तीय प्लेटफार्मों में से एक है जहां खरीदार और विक्रेता पैसे में समाप्त होने वाले विकल्पों के आधार पर व्यापार करते हैं, ए विकल्प, जिसका अर्थ है व्यापार पर लाभ या हानि जो एक विशिष्ट समय और राशि के बाद स्वचालित रूप से बंद हो जाती है या व्यापारी से डेबिट या डेबिट हो जाती है। खाता।
IQ Option ट्रेडिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पारदर्शिता मुख्य ताकत है जो इस मंच को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाती है। यह एक CFD (काउंटर फॉर डिफरेंस) प्लेटफॉर्म है, जिसका मतलब है कि आप अलग-अलग एसेट पर ट्रेड किए बिना उसे हासिल कर सकते हैं। आप इस प्लेटफॉर्म पर विभिन्न प्रकार के इंस्ट्रूमेंट्स, कमोडिटीज, फॉरेक्स करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, स्टॉक और साथ ही डिजिटल विकल्पों का व्यापार कर सकते हैं।
यह ऑप्शंस वर्ल्ड में सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड है। यह काफी सुरक्षित है क्योंकि यूके, साइप्रस (CySEC), MiFID (मार्केट्स इन फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स डायरेक्टिव) और कई अन्य EEA यूरोपीय देशों में FCA सहित कई मध्यस्थता के तहत विनियमित है।
IQ Option के साथ खाता खोलना बहुत आसान है। इनके दो तरह के अकाउंट होते हैं डेमो और रियल। मंच के दाईं ओर IqOption पर जाकर, एक खाता खोलने का फॉर्म है। अपनी जानकारी भरें, उनके नियम और शर्तें जांचें, फिर "मुफ्त में खाता खोलें" बटन पर क्लिक करें। आपको खाते की पुष्टि करने के लिए एक ईमेल प्राप्त होगा, पुष्टिकरण ईमेल पर क्लिक करने के बाद आपको जमा पृष्ठ पर रीडायरेक्ट कर दिया जाएगा, शीर्ष पर दाएं कोने पर ट्रेड नाउ बटन पर क्लिक करें। डेमो और रियल अकाउंट के बारे में जानने के लिए आप ट्रेड रूम में प्रवेश करेंगे।
उसके बाद वे सत्यापन के लिए कहेंगे, आपको बस कुछ दस्तावेज (पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, या पासपोर्ट) जमा करने की आवश्यकता है ताकि आश्वस्त करने के उद्देश्य से IQ Option विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है? द्वारा सुरक्षित किया जा सके।
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किसी भी कठिनाई की स्थिति में प्लेटफॉर्म के नीचे बाईं ओर सपोर्ट का विकल्प होता है। बस उस बटन पर क्लिक करें और आपको लगभग 24/7 काम करने वाली सहायता सेवाएँ मिलेंगी। गुणवत्ता सेवा प्रदान करने के लिए उनके पास सर्वोत्तम ग्राहक सहायता है।
नौकरी करने वाले कैसे करें शेयर ट्रेडिंग
किसी भी नौकरीपेशा शख्स के लिए शेयर बाजार में सक्रिय तौर पर ट्रेडिंग करना मुश्किल काम होता है। ऐसे व्यक्तियों के लिए रास्ता बता रहे हैं निखिल वालवलकर.
इनसाइडर ट्रेडिंग
तकनीकी बाधा जहां वेतनभोगियों के लिए ट्रेडिंग करने में दिक्कत पैदा करती है, वहीं एक और बड़ी समस्या कुछ नियोक्ताओं की ओर से आती है, जहां कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए ट्रेडिंग करने पर सख्त नियम लगा देती हैं। बाजार अब जिस तरह से संवेदनशील हो रहा है, उसमें कर्मचारियों को इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों और शर्तों के बारे में गहराई से जानना जरूरी हो जाता है। अपनी कंपनी के शेयरों या ऐसी कंपनियों में जिनके साथ कंपनी का लेना-देना है, उनके शेयरों में कारोबार करते वक्त इनसाइडर ट्रेडिंग की शर्तों की जानकारी होना जरूरी है। इनसाइडर ट्रेडिंग के दिशा-निर्देश ऐसे व्यक्तियों पर लागू होते विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है? हैं जो या तो कंपनी में होते हैं या उसमें कभी काम कर चुके होते हैं और उस कंपनी के शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव पैदा करने लायक किसी जानकारी तक उनकी पहुंच होती है। अगर आप इस तरह की कैटेगरी में आते हैं तो आपको इस बारे में काफी सतर्क रहने की जरूरत है।
निशीथ देसाई एसोसिएट्स के हेड एचआर (एम्लॉयमेंट एंड लेबर) लॉ प्रैक्टिस, विक्रम श्रॉफ के मुताबिक, 'निवेश करने से पहले नियोक्ता के नियमों को अच्छी तरह से पढ़ लेना और उनका पालन करना जरूरी है। इन कानूनों को तोड़ने या इनकी उपेक्षा करने से दिक्कत पैदा हो सकती है।' बड़ी कंपनियां अपने सभी कर्मचारियों को इनसाइडर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देती हैं। कुछ इकाइयां अपने कोड ऑफ कंडक्ट और प्रक्रियाओं को कंपनी की वेबसाइट पर डाल देती हैं। अपनी कंपनी के शेयरों में कारोबार करने से पहले आपको इसकी मंजूरी कंपनी से लेनी होगी।
कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों को मेल के जरिए इनसाइडर ट्रेडिंग न करने की अवधि के बारे में सूचना देती हैं। अगर ऐसी मेल आपके पास आती है तो आपको दी गई अवधि में अपनी कंपनी में इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। इस तरह की अवधि अमूमन 15 दिन की होती है और इस अवधि का एलान ज्यादातर किसी बड़ी कॉरपोरेट घोषणा से पहले किया जाता है।
एक बात और कि इनसाइडर केवल वही नहीं होते जो कि कंपनी में काम कर रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि जो लोग कंपनी से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हुए हैं, उनके पास भी कुछ खास सूचनाएं पहुंच जाती हैं। मिसाल के तौर पर, सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस देने वाली कंपनी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम करता है और उसकी पहुंच कुछ अहम सूचनाओं तक होती है। यह व्यक्ति इनसाइडर कहलाएगा। इसी तरह से इन कंपनी के ऑडिट, बिजनेस कंसल्टेंसी या कानूनी कामकाज को देखने वाली फर्मों के पास भी कुछ अहम सूचनाओं की जानकारी हो सकती है। ऐसे में इन कंपनियों के कर्मचारी भी इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में आते हैं। इस तरह की फर्म का कर्मचारी होने पर आपको इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों और शर्तों की पूरी जानकारी रखना चाहिए।
विक्रम श्रॉफ के मुताबिक, 'जो व्यक्ति एक इनसाइडर के तौर पर माना जाता है, उसे अपने पोर्टफोलियो मैनेजर या शेयर ब्रोकर के साथ कारोबार शुरू करते वक्त इस तरह की सभी चीजों का खुलासा करना चाहिए।' स्थिति तब काफी जटिल हो जाती है जबकि आप एक से ज्यादा कंपनियों में इनसाइडर होते हैं। ऐसे में अपने इनसाइडर स्टेटस को बार-बार अपडेट करना जरूरी हो जाता है।
नियमों विकल्प ट्रेडिंग कैसे काम करता है? और शर्तों का पालन न करने की स्थिति में आप पर जुर्माना लग सकता है और हो सकता है कि आप पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने से रोक भी दिया जाए। इसके अलावा और बुरी स्थिति में आपकी प्रोफेशनल लाइफ पर भी संकट आ सकता है।
कॉर्पोरेट पॉलिसी
कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए शेयरों में कारोबार करने संबंधी नियम बनाती हैं। डेरिवेटिव्स में कारोबार पर जहां रोक होती है, वहां कर्मचारियों को अपनी कंपनी के नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ कंपनियों ने न्यूनतम होल्डिंग अवधि का नियम बना रखा है, मसलन 30 दिन या 90 दिन। इस तरह की किसी शर्त से अगर आप बंधे हुए हैं तो आपको नियत अवधि तक आपको शेयरों को होल्ड करना पड़ेगा।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशल सर्विसेज के हेड, ह्यूमन रिर्सोसेज सुधीर धर के मुताबिक, 'हम कंपनी के अंदर इंट्रानेट के जरिए कर्मचारियों के शेयरों में निवेश पर नजर रखते हैं।'
एस. एन. गुप्ता ऐंड कंपनी के पार्टनर एडवोकेट अमित अग्रवाल के मुताबिक, 'नियोक्ता की कंपनी की नीति के पालन नहीं करने पर कर्मचारी की नौकरी तक जा सकती है।' यहां तक कि अगर आप इनसाइडर नहीं हैं, लेकिन आपने घोषणापत्र पर दस्तखत किए हैं तो इन शर्तों को मानना होगा।
शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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