Budget 2020: सरकार ने खत्म किया DDT, जानिए क्या है यह और किसे मिलेगा फायदा
वित्त मंत्री ने बताया कि DDT हटाने से सरकार को 25,000 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान होगा
Budget 2020 में मोदी सरकार ने शुक्रवार को कंपनियों पर लगने वाला लाभांश वितरण कर यानी Dividend Distribution Tax (DDT) को हटाने का प्रस्ताव दिया है। इससे अब डिविडेंड पर टैक्स अब रिसिपिएंट्स यानी डिविडेंड पाने वाले को देना होगा। वित्त मंत्री ने बताया कि इससे 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि प्रस्ताव से भारत निवेश के लिए आकर्षक होगा। उन्होंने DDT को हटाने को एक साहसिक कदम बताया है।
फिलहाल कंपनियों को शेयरहोल्डर्स को दिए जाने वाले डिविडेंड भुगतान पर 15 प्रतिशत की दर से डीडीटी देना होता है। इसके अलावा इस पर सेस (cess) और सरचार्ज (surcharge) लगता है। यह कंपनी की तरफ से बेनेफिट पर दिए गए टैक्स के अतिरिक्त होता है।
बजट में डीडीटी हटाने का प्रस्ताव देते हुए वित्त मंत्री ने कहा- भारतीय शेयर बाजार को और आकर्षक बनाने और निवेशकों को राहत देने के लिए मैं डीडीटी हटाने का प्रस्ताव करती हूं और डिविडेंड टैक्सेशन के पुराने सिस्टम को अपनाने का प्रस्ताव करती हूं। इसके तहत कंपनियों को डीडीटी भुगतान की जरूरत नहीं होगी।
उन्होंने कहा- डिविडेंड टैक्स का भुगतान केवल उसे लेने वाले को उस पर लगने वाली दर के आधार पर करना होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि डीडीटी लगाने से निवेशकों पर कर बोझ पड़ता है। खासकर उन पर जो आय में लाभांश जोड़ने पर डीडीटी के मुकाबले कम दर से कर चुकाने के हकदार हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर विदेशी निवेशकों को उनके अपने देश में डीडीटी क्रेडिट का लाभ उपलब्ध नहीं होने से उनके लिए शेयर कैपिटल के रिटर्न में कमी आती है।
Money Guru: डिविडेंड इनकम पर कितना लगता है टैक्स, कितना कटेगा TDS? यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब
Tax on Dividend income: डिविडेंड इनकम पर टैक्स को लेकर क्या नियम हैं और इस पर कितना TDS काटा जाता है? यहां मिलेगा आपको सारे सवालों का जवाब.
Tax on Dividend income: डिविडेंड से कमाई पर अब डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स नहीं लगता बल्कि इसपर TDS काटा जाता है. कंपनियां मुनाफे के साथ शेयरधारकों के लिए डिविडेंड जारी करती हैं.साथ ही म्यूचुअल फंड के डिविडेंड विकल्प पर भी हर डिविडेंड निवेशक के खाते में आता है. जहां पहले कंपनी डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स देकर डिविडेंड बांटा करती थी. वहीं अब निवेशक के हाथ में ये टैक्सेबल है. आइए टैक्स डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? एक्सपर्ट सुनील गर्ग से जानते हैं डिविडेंड से हुई कमाई पर कितना TDS कटेगा, PAN कार्ड की जानकारी ना देने पर कितना टैक्स लगेगा, किसपर टैक्स नहीं लगेगा और रिटर्न भरते वक्त इसका क्लेम कैसे लिया जाए?
डिविडेंड आय पर टैक्स कैसे लगता है?
डिविडेंड आय एक कंपनी की कमाई का वह हिस्सा है जिसे वह उन लोगों में वितरित करती है जिनके पास उस विशेष कंपनी के शेयर या म्युचुअल फंड हैं। निवेशक और शेयरधारक निस्संदेह इसके लाभों से परिचित होंगे। हालांकि, अक्सर इस पर लगने वाले टैक्स और परिणामों के बारे में थोड़ी बहुत अनिश्चितता भी रहती है।
कोई भी व्यक्ति शेयर, म्युचुअल फंड आदि जैसे विभिन्न माध्यमों से डिविडेंड आय अर्जित कर सकता है। यहां ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विभिन्न माध्यमों से प्राप्त डिविडेंड आय पर अलग-अलग तरह से टैक्स लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं; डिविडेंड आय के कराधान में आगे फिर से कई विभाजन होते हैं।
विदेशों में सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में भारत में सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय पर अलग प्रकार से टैक्स लगाया जाता है। यहां तक कि म्युचुअल फंड में भी, इक्विटी म्युचुअल फंड और डेट-स्कीम म्युचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के बारे में अलग-अलग नियम हैं।
डिविडेंड आय की गणना के संबंध में इस तरह के विभिन्न नियमों के बीच, निवेश का फैसला करते समय उस पर लगने वाले टैक्स को समझना भी अनिवार्य है।
शेयरों से डिविडेंड आय
आयकर प्रावधानों के अनुसार, यदि घरेलू कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय की राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो वह व्यक्ति 10 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 10% की दर से टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।
विदेशी-सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड के लिए नियम अलग हैं, क्योंकि डिविडेंड आय पर टैक्स व्यक्ति पर निर्भर करता है। इसे ’अन्य स्रोतों से आय’ माना जाता है और टैक्स की दर व्यक्ति के इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार होती है।
भारत में सूचीबद्ध घरेलू कंपनियां निवेशकों को लाभांश वितरित करने से पहले 15% की दर से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का भुगतान करना होता है। हालांकि, विदेशी कंपनी जो भारत में लिस्टेड नहीं होती, उसको डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का भुगतान नहीं करना होता है।
म्युचुअल फंड से डिविडेंड आय
निवेशकों को म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड पर टैक्स का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है, भले ही वह डेट म्युचुअल फंड स्कीम हो या फिर इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम हो। म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड आय पर निवेशकों को टैक्स से पूरी तरह छूट प्राप्त होती है।
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को लेकर म्युचुअल फंड कंपनियों के टैक्स नियम अलग-अलग हो सकते हैं। डेट म्युचुअल फंड कंपनियों को वितरित डिविडेंड पर 29.12% की दर से टैक्स का भुगतान करना होता है, इसमें अधिभार और उपकर शामिल होता है। इसी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? तरह, इक्विटी म्युचुअल फंड कंपनियों द्वारा देय डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स की दर, अधिभार और उपकर को मिलाकर 11.64% है।
निष्कर्ष
निवेश के संबंध में निर्णय लेते समय टैक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार, किसी को अपनी डिविडेंड आय पर लगने वाले टैक्स को जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह विश्लेषण करने में मदद करता है कि कौन सा विकल्प निवेश के लिए सबसे उपयुक्त है। इससे एडवांस टैक्स प्लानिंग में भी मदद मिलेगी।
डिविडेंड आय एक कंपनी की कमाई का वह हिस्सा है जिसे वह उन लोगों में वितरित करती है जिनके पास उस विशेष कंपनी के शेयर या म्युचुअल फंड हैं। निवेशक और शेयरधारक निस्संदेह इसके लाभों से परिचित होंगे। हालांकि, अक्सर इस पर लगने वाले टैक्स और परिणामों के बारे में थोड़ी बहुत अनिश्चितता भी रहती है।
कोई भी व्यक्ति शेयर, म्युचुअल फंड आदि जैसे विभिन्न माध्यमों से डिविडेंड आय अर्जित कर सकता है। यहां ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विभिन्न माध्यमों से प्राप्त डिविडेंड आय पर अलग-अलग तरह से टैक्स लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं; डिविडेंड आय के कराधान में आगे फिर से कई विभाजन होते हैं।
विदेशों में सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में भारत में सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय पर अलग प्रकार से टैक्स लगाया जाता है। यहां तक कि म्युचुअल फंड में भी, इक्विटी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? म्युचुअल फंड और डेट-स्कीम म्युचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के बारे में अलग-अलग नियम हैं।
डिविडेंड आय की गणना के संबंध में इस तरह के विभिन्न नियमों के बीच, निवेश का फैसला करते समय उस पर लगने वाले टैक्स को समझना भी अनिवार्य डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? है।
शेयरों से डिविडेंड आय
आयकर प्रावधानों के अनुसार, यदि घरेलू कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय की राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो वह व्यक्ति 10 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 10% की दर से टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।
विदेशी-सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड के लिए नियम अलग हैं, क्योंकि डिविडेंड आय पर टैक्स व्यक्ति पर निर्भर करता है। इसे ’अन्य स्रोतों से आय’ माना जाता है और टैक्स की दर व्यक्ति के इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार होती है।
भारत में सूचीबद्ध घरेलू कंपनियां निवेशकों को लाभांश वितरित करने से पहले 15% की दर से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का भुगतान करना होता है। हालांकि, विदेशी कंपनी जो भारत में लिस्टेड नहीं होती, उसको डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का भुगतान नहीं करना होता है।
म्युचुअल फंड से डिविडेंड आय
निवेशकों को म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड पर टैक्स का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है, भले ही वह डेट म्युचुअल फंड स्कीम हो या फिर इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम हो। म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड आय पर निवेशकों को टैक्स से पूरी तरह छूट प्राप्त होती है।
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को लेकर म्युचुअल फंड कंपनियों के टैक्स नियम अलग-अलग हो सकते हैं। डेट म्युचुअल फंड कंपनियों को वितरित डिविडेंड पर 29.12% की दर से टैक्स का भुगतान करना होता है, इसमें अधिभार और उपकर शामिल होता है। इसी तरह, इक्विटी म्युचुअल फंड कंपनियों द्वारा देय डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स की दर, अधिभार और उपकर को मिलाकर 11.64% है।
निष्कर्ष
निवेश के संबंध में निर्णय लेते समय टैक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार, किसी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? को अपनी डिविडेंड आय पर लगने वाले टैक्स को जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह विश्लेषण करने में मदद करता है कि कौन सा विकल्प निवेश के लिए सबसे उपयुक्त है। इससे एडवांस टैक्स प्लानिंग में भी मदद मिलेगी।
कर और भारत का पूंजी बाज़ार
व्यापार लागत को कम करने के उद्देश्य से भारतीय राष्ट्रीय एक्सचेंज सदस्यों के संघ (Association of National Exchanges Members of India-ANMI) ने भारत सरकार से दीर्घकालीन पूंजी लाभ कर (Long Term Capital Gains Tax) और प्रतिभूति लेन-देन कर (Securities Transaction Tax-STT) को वापस लेने का आग्रह किया है।
DDT खत्म होने से निवेशकों पर क्या होगा असर, जानिए टैक्स स्लैब के अनुसार नफा-नुकसान
आइए जानते हैं कि DDT का खत्म हो जाना निवेशकों के लिए फायदेमंद है या नहीं.
आइए जानते हैं कि DDT का खत्म हो जाना निवेशकों के लिए फायदेमंद है या नहीं. (Representational Image)
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स(DDT) डिविडेंड पर लगना वाला टैक्स है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने मुनाफे में से देती है. पहले, कानून कहता था कि DDT कंपनियों पर लगेगा और शेयरधारकों पर यह नहीं लगेगा. हाल ही पेश हुए बजट में वित्त मंत्री ने एलान किया कि DDT शेयरधारकों या यूनिट होल्डर्स पर लगेगा. इसलिए शेयर और म्यूचुअल फंड्स से आने वाली डिविडेंड इनकम पर निवेशकों से टैक्स लिया जाएगा. यह टैक्स निवेशक डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? के टैक्स स्लैब के मुताबिक लगेगा. आइए जानते हैं कि DDT का खत्म हो जाना निवेशकों के लिए फायदेमंद है या नहीं.
अभी तक कंपनियों को 15 फीसदी की दर पर DDT का भुगतान करना होता था लेकिन प्रभावी रेट 20.56 फीसदी रहता था(सरचार्ज और सेस को मिलाकर). यह 1997 में लाया गया था. उस समय यह 7.5 फीसदी के फ्लैट रेट से लिया जाता था. लेकिन यह दर समय के साथ बढ़ती गई और इसे कंपनी पर बेवजह दबाव डालने को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी. लोगों ने यह भी तर्क दिया कि इससे दोगुना टैक्स हो जाता है. उनका कहना था कि भारतीय कंपनियों के लिए 25 फीसदी की दर से कॉरपोरेट टैक्स का भुगतान करने के बाद प्रभावी टैक्स रेट जिसमें DDT शामिल है, 48.5 फीसदी हो जाता है.
नया नियम
हाल में बजट में हुए एलानों के मुताबिक, सभी तरह की डिविडेंड इनकम यानी शेयरों या म्यूचुअल फंड्स से होने वाली डिविडेंड इनकम पर निवेशकों से टैक्स वसूला जाएगा. इस तरह डिविडेंड इनकम, जो पहले निवेशकों के पास टैक्स से मुक्त थी, अब उस पर पूरी तरह टैक्स लागू होगा. इसका मतलब हुआ कि व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम में इजाफा होगा. तो, बजट 2020 में कॉरपोरेट द्वारा भुगतान किए गए डिविडेंड पर DDT को खत्म करके उसके भार को निवेशकों पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव है.
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पहले, एक टैक्सपेयर को डिविडेंड पर 10 फीसदी की दर से टैक्स का भुगतान उसी स्थिति में करना होता था जब उसे प्राप्त डिविडेंड की राशि 10 लाख रुपये से ज्यादा होती थी. इसके अलावा म्यूचुअल फंड्स से मिले डिविडेंड पर किसी टैक्स का भुगतान नहीं करना होता था. बजट में किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, डिविडेंड प्राप्त करने वाला व्यक्ति उपयुक्त दरों पर इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए जवाबदेह होगा, चाहे उसे मिले डिविडेंड की राशि कितनी भी हो.
निवेशकों पर असर
नए नियम से जुड़े कुछ फायदे और नुकसान हैं. कंपनी की नजर से देखें, तो DDT को हटाने से, डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उपलब्ध प्रॉफिट बढ़ता है, जो कंपनियां अपने बिजनेस में वापस लगा सकती हैं. इसलिए सामान्य तौर पर इससे फर्म वैल्यू बढ़ती है. दूसरा, शेयरधारक के पास मौजूद डिविडेंड पर टैक्स लगाने से फॉरेन इक्विटी इनवेस्टर की स्थिति में डबल टैक्स अवॉयडेंस एग्रीमेंट लागू हो सकता है और ऐसे में टैक्स की दर उसकी शेयरहोल्डिंग और रेजीडेंशियल स्टेटस पर निर्भर होगी.
इससे उन टैक्सपेयर्स को फायदा होगा जो 10 फीसदी टैक्स वाले स्लैब में आते हैं क्योंकि उनके पास कैश फ्लो बढ़ेगा जबकि जो टैक्सपेयर्स 20 फीसदी टैक्स स्लैब में आते हैं, उन पर कोई असर नहीं होगा. लेकिन जो टैक्सपेयर्स 30 फीसदी स्लैब में आते हैं, वे ज्यादा टैक्स का भुगतान करेंगे.
(By: P Saravanan, Professor of Finance & Accounting, IIM Tiruchirappalli)
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