वित्तीय विवरणों के विश्लेषण एवं निर्वचन का अर्थ ( Meaning of Analysis and Interpretation of Financial Statements ) क्या है ?

वित्तीय विवरण अपने आप में लक्ष्य न होकर साधन मात्र होते हैं, अतः इनसे निष्कर्ष निकालने के लिए इनका विश्लेषण करना आवश्यक है । जिस प्रकार मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए डॉक्टर शरीर के सामयिक ( Periodical ) परीक्षण की सलाह देते हैं, ठीक उसी प्रकार व्यवसाय को वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ एवं लाभप्रद बनाये रखने के लिए वित्तीय विश्लेषण की आवश्यकता होती है । "वित्तीय विवरण जितने अधिक विस्तृत तथा भारी होते हैं, उतने ही उच्च प्रबन्ध के लिए बेकार होते हैं ।" वित्तीय विश्लेषण के माध्यम से वित्तीय विवरणों की सूचनाओं को प्रबन्ध के समक्ष संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है, जिससे उन्हें तुरन्त निर्णय लेने में सहायता प्राप्त हो सके ।

कैनेडी तथा मैकमूलन के अनुसार, "वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वचन सूचना को इस प्रकार प्रस्तुत करता है, जिससे व्यवसाय के प्रबन्धकों, विनियोगकर्ताओं तथा लेनदारों एवं अन्य वर्गों, जो व्यवसाय की वित्तीय स्तिथि व परिचालन परिणामों में रुचि रखते हैं, निर्णय में सहायक हो सकें ।"

स्पाइसर तथा पेगलर के मतानुसार, "खातों की व्याख्या वह कला एवं विज्ञान है जिसके द्वारा उनमें दिये गये अंकों के अर्थ को इस प्रकार स्पष्ट करना है कि उनसे एक व्यवसाय की वित्तीय सामर्थ्य अथवा दुर्बलता तथा उसके कारण प्रकट हो सकें ।"

जॉन एन. मायर के अनुसार, "वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एक व्यवसाय में विभिन्न वित्तीय कारकों, जो वित्तीय विवरणों के एक अकेले समूह और विवरणों की श्रृंखला में दिखाये गये उन कारकों की प्रवृत्ति के अध्ययन से प्रकट किये गये हैं, के मध्य सम्बन्ध का अधिकांश अध्ययन है ।"

वित्तीय विवरणों में मुख्यतः स्थिति विवरण, लाभ-हानि खाता एवं कोष प्रवाह विवरण को सम्मिलित किया जाता है, अतः वित्तीय विश्लेषण से तात्पर्य इन विवरणों के इस प्रकार प्रस्तुतीकरण से है, जो प्रबन्धक, लेनदार, विनियोजक एवं अन्य सम्बन्धित पक्षों को निर्णय लेने में सहायक हो सकें ।

वित्तीय विवरण विश्लेषण के उद्देश्य ( Objectives of Financial Statements Analysis ) :-

वित्तीय विश्लेषक ( Analyst ) वित्तीय विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष निकालने की चेष्टा करता है । वित्तीय विवरण संस्था की वित्तीय स्थिति व लाभ-हानि के सम्बन्ध में संक्षिप्त में सूचना प्रदान करते हैं । "एक सुदृढ़ आर्थिक स्थिति बनाये रखते हुए व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य विनियोजित धन पर सन्तोषप्रद लाभ अर्जित करना होता है ।" अतः "वित्तीय विश्लेषण का उद्देश्य वित्तीय स्थिति एवं लाभदायकता का कारण एवं प्रभावमूलक विस्तृत अध्ययन करना होता है ।"

जैसा कि पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि वित्तीय विश्लेषण में विभिन्न पक्षकार रुचि रखते हैं तथा ये सभी अपने उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण व निर्वचन करते हैं । फिर भी वित्तीय विश्लेषण के सामान्य उद्देश्य निम्न हो सकते हैं :-

[ 1 ] संस्था की वित्तीय विश्लेषण का अर्थ वर्तमान क्षमता का विश्लेषण कर भविष्य के बारे में अनुमान लगाना;

[ 2 ] संस्था की वित्तीय सुदृढ़ता, कार्यक्षमता व निष्पत्ति का विश्लेषण व निर्वचन करना;

[ 3 ] संस्था की दीर्घकालीन व अल्पकालीन परिशोधन क्षमता का विवेचन करना;

[ 4 ] संस्था की वित्तीय स्थिति एवं ऋणग्राह्य क्षमता का अनुमान लगाना;

[ 5 ] विनियोजनीय संस्था की भावी प्रगति, विस्तार, सम्भावनाओं व आर्थिक सुरक्षा का अनुमान लगाना; तथा

[ 6 ] उसी उद्योग की अन्य फर्मों से वित्तीय मामलों में प्रबन्धकीय कुशलता एवं कार्यशील पूँजी के प्रभावी उपयोग से सम्बन्धित तुलनात्मक अध्ययन करना ।

व्यवहार में विश्लेषण के अनेक उद्देश्य हो सकते हैं । ये उद्देश्य विश्लेषक के दृष्टिकोण, उसका संस्था में हित, विश्लेषण में वांछनीय शुद्धता व गहनता, उपलब्ध वित्तीय तथ्य सूचनाओं की मात्रा एवं गुण-स्तर आदि तत्वों पर निर्भर करते हैं ।

वित्तीय विश्लेषण का अर्थ, क्षेत्र, उद्देश्य

वित्तीय विश्लेषण का अर्थ (vittiya vishleshan kya hai)

vittiya vishleshan arth kshera uddeshya;किसी भी व्यवसाय द्वारा जो वित्तीय लेखे, विवरण तथा प्रतिवेदन प्रकाशित किये जाते है, उनका विश्लेषण ही वित्तीय विश्लेषण कहलाता है। प्रकाशित किये जाने वाले प्रलेखों मे स्थिति विवरण, लाभ-हानि खाता, संचालकों का प्रतिवेदन, अध्यक्ष का भाषण एवं अंकेक्षण के प्रतिवेदन को उसी रूप मे रहने दिया जाए जिस रूप मे वह तैयार किये गये थे तो उनसे कोई निष्कर्ष नही निकलेगा। इन लेखों तथा प्रतिवेदनों का विश्लेषण और निर्वाचन करके महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकते है एवं यही वित्तीय विश्लेषण कहलाता है।

फिरे एवं मिलन के अनुसार," वित्तीय विश्लेषण मे निश्चित योजनाओं के आधार पर तथ्यों को विभाजित करने, परिस्थितियों के अनुसार उसकी वर्ग रचना करने एवं सुविधाजनक, सरल, पठनीय तथा समझने लायक रूप मे उन्हे प्रस्तुत करने की क्रियाएं होती है।

आर. डी. कैनेडी एवं मेकमूलर के अनुसार," वित्तीय विवरणों का विश्लेषण एवं निर्वाचन वित्तीय विवरणों मे समंको की महत्ता एवं अर्थ को निर्धारित करने का एक प्रयत्न है ताकि भावी अर्जन, देय ऋणों और ब्याज की भुगतान क्षमता तथा एक सुदृढ़ लाभांश नीति की लाभप्रदता की सम्भावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सके।"

वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र (vittiya vishleshan ka kshera)

इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि व्यवसाय मे वित्तीय विश्लेषण का अर्थ वित्तीय विश्लेषण का अर्थ जितनी पूँजी लगी है, उस हिसाब से लाभ पर्याप्त मात्रा मे हो रहे है या नही। क्या पूंजी को अन्य स्थान मे पर लगाकर ज्यादा लाभ प्राप्त वित्तीय विश्लेषण का अर्थ किये जा सकते है?

2. सुरक्षा तथा शीधन क्षमता

इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि पूंजी तथा ऋण किस सीमा तक सुरक्षित है, कंपनी लेनदरों के ऋण चुकाने की स्थिति मे है या नही।

3. वित्तीय दृढ़ता

इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि कंपनी वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ है, क्या संस्था वित्तीय स्थिति को मजबूत करने हेतु आंतरिक वित्त प्रबंध का सहारा लेगी, क्या कंपनी की भविष्य मे कोई विस्तार योजना है तथा इसके लिए वित्य प्रबंध का सहारा लेगी।

इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि व्यवसाय के लाभ तथा विक्रय मे नीचे जाने की प्रवृत्ति है या ऊपर जाने की।

5. स्वामित्व अथवा प्रबंध क्षमता वित्तीय विश्लेषण का अर्थ

इस बात की जानकारी प्राप्त करना कि व्यवसाय का प्रबंध किनके हाथ मे है, प्रबंधकों के हाथों मे व्यवसाय का भविष्य सुरक्षित है, संपत्तियों का प्रबंध किस तरह की पूंजी से किया जा रहा है, पूंजी की मात्रा आवश्यकता से कम है या ज्यादा।

वित्तीय विश्लेषण के उद्देश्य (vittiya vishleshan ke uddeshya)

भिन्न-भिन्न वर्गों की दृष्टि से विश्लेषण के उद्देश्य भिन्न-भिन्न हो सकते है। वित्तीय विश्लेषण के उद्देश्य इस प्रकार हैं--

1. प्रबंधक वर्ग

व्यवसाय का संचालन तथा नियंत्रण करने वाले प्रबंधक कहलाते है। प्रबंधक वर्ग वित्तीय विवरणों का विश्लेषण इस उद्देश्य से करते है ताकि ऐसी सूचनाएं प्राप्त की जा सकें जिससे व्यवसाय की कुशलता तथा लाभार्जन शक्ति का माप किया जा सके, विभिन्न विभागों की सफलता या असफलता का मूल्यांकन किया जा सके एवं इसी तरह के व्यवसायों अथवा उद्योगों से अपने व्यवसाय की तुलना की जा सके।

विनियोजक की श्रेणी मे कंपनी के अंशधारी तथा दीर्घकालीन ऋणदाता आते है। अंशधारियों का कंपनी मे स्थायी हित होता है। इसका प्रमख उद्देश्य मूलधन की सुरक्षा एवं उस पर पर्याप्त आय प्राप्त करना है। ऋणपत्रधारी संस्था की दीर्घकालीन शोधन क्षमता के बारे मे पूर्ण जानकारी चाहते है। वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का उद्देश्य अंशधारियों द्वारा संस्था की लाभ अर्जन क्षमता की जानकारी प्राप्त करना, विनियोजक की आय तथा सुरक्षा की जानकारी प्राप्त करना एवं प्रबंधकों की कुशलता का माप करना होता है। ऋणपत्रधारी मूलधन एवं ब्याज देने की क्षमता की जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से विश्लेषण करते है।

वित्तीय विवरणों के विश्लेषण मे कर्मचारी इसलिए रूचि रखते है, ताकि संस्था की वित्तीय स्थिति तथा लाभअर्जन क्षमता की जानकारी प्राप्त कर सकें क्योंकि वेतन वृद्धि, बोनस पदोन्नति आदि प्रश्न इससे वित्तीय विश्लेषण का अर्थ जुड़े रहते है।

4. बैंक तथा वित्तीय संस्थाएं

बैंक तथा वित्तीय संस्थाओं द्वारा विश्लेषण का उद्देश्य संस्था की वित्तीय सुदृढ़ता की जानकारी प्राप्त करना होता है, क्योंकि ये संस्थाएं बहुत कम ब्याज पर ऋण देती है तथा अपने ऋणों की सुरक्षा के प्रति काफी चिंतित रहती है।

सरकार वित्तीय विवरणों के विश्लेषणों से व्यावसायिक संस्थाओं की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करती है।

6. अन्य वर्ग

ग्राहक, व्यावसायिक प्रतिद्वंदी, विक्रेता, वितरक, जनसाधारण, शोधकर्ता, पत्रकार, राजनीतिज्ञ आदि भी अपने-अपने उद्देश्यों हेतु वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करते है।

वित्तीय विश्लेषण का अर्थ

वित्तीय विवरणों का विश्लेषण वित्तीय विवरणों में दी गई विस्तृत लेखांकन जानकारी में गंभीर रूप से जांच करने की प्रक्रिया है। वित्तीय विश्लेषण (Financial analysis) का अर्थ क्या हैं? वित्तीय विश्लेषण का अर्थ - वित्तीय विश्लेषण क्या है? मतलब, उद्देश्य, और प्रकार। विश्लेषण के उद्देश्य के लिए, व्यक्तिगत वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है, अन्य संबंधित आंकड़ों के साथ उनके अंतर-संबंध स्थापित किए जाते हैं, इस उद्देश्य के लिए विभिन्न तकनीकों या उपकरणों की सहायता से जानकारी की बेहतर समझ रखने के लिए डेटा को कभी-कभी पुन: व्यवस्थित किया जाता है।

वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करना फर्म की स्थिति और प्रदर्शन की बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए वित्तीय विवरणों के घटक भागों के बीच संबंधों का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया है। वित्तीय विवरणों का विश्लेषण इस प्रकार वित्तीय विवरणों में निहित जानकारी के उपचार को संदर्भित करता है ताकि संबंधित फर्म की लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति का पूर्ण निदान किया जा सके।

इस उद्देश्य के लिए वित्तीय विवरणों को विधिवत, विश्लेषण और पिछले वर्षों या अन्य समान फर्मों के आंकड़ों की तुलना में वर्गीकृत किया जाता है। "विश्लेषण" और "व्याख्या" शब्द निकटता से संबंधित हैं, लेकिन दोनों के बीच भेद किया जा सकता है। विश्लेषण का मतलब है कि फर्म के प्रदर्शन को बेहतर तरीके से समझने के लिए वित्तीय विवरणों के घटकों के बीच संबंधों का मूल्यांकन करना।

वित्तीय विवरणों में विभिन्न खाता शेष दिखाई देते हैं। ये खाता शेष एक समान डेटा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें समझना और कुछ निष्कर्ष निकालना मुश्किल है। वित्तीय विवरणों में दिखाए गए आंकड़ों को कुछ समानता लाने के लिए वित्तीय विवरणों में डेटा के विश्लेषण की आवश्यकता है। व्याख्या इस प्रकार अनुमान लगाने और बताती है कि वित्तीय विवरणों में आंकड़े वास्तव में क्या मतलब है। व्याख्या स्वयं दुभाषिया पर निर्भर है। दुभाषिया के पास विश्लेषण डेटा से सही निष्कर्ष निकालने के लिए अनुभव, समझ और बुद्धि होना चाहिए।

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वित्तीय विश्लेषण

वित्तीय विश्लेषण (जिसे वित्तीय विवरण विश्लेषण या लेखा विश्लेषण या वित्त का विश्लेषण भी कहा जाता है ) एक व्यवसाय , उप-व्यवसाय या परियोजना की व्यवहार्यता, स्थिरता और लाभप्रदता के आकलन को संदर्भित करता है । यह पेशेवरों द्वारा किया जाता है जो अनुपात और अन्य तकनीकों का उपयोग करके रिपोर्ट तैयार करते हैं , जो वित्तीय विवरणों और अन्य रिपोर्टों से ली गई जानकारी का उपयोग करते हैं। ये रिपोर्ट आमतौर पर शीर्ष प्रबंधन को व्यावसायिक निर्णय लेने में उनके आधार के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। वित्तीय विश्लेषण यह निर्धारित कर सकता है कि क्या कोई व्यवसाय करेगा:

  • इसका मुख्य संचालन या इसके व्यवसाय का हिस्सा जारी रखना या बंद करना;
  • अपने उत्पाद के निर्माण में कुछ सामग्री बनाना या खरीदना ;
  • अपने माल के उत्पादन में कुछ मशीनरी और उपकरण प्राप्त करना या किराए पर लेना / पट्टे पर देना;
  • अपनी कार्यशील पूंजी बढ़ाने के लिए बैंक ऋण के लिए शेयर जारी करना या बातचीत करना ;
  • पूंजी निवेश या उधार देने के संबंध में निर्णय लेना;
  • अन्य निर्णय लें जो प्रबंधन को अपने व्यवसाय के संचालन में विभिन्न विकल्पों पर एक सूचित चयन करने की अनुमति दें।

वित्तीय विश्लेषक अक्सर एक फर्म के निम्नलिखित तत्वों का आकलन करते हैं:

  1. लाभप्रदता - आय अर्जित करने और लघु और वित्तीय विश्लेषण का अर्थ दीर्घावधि दोनों में विकास को बनाए रखने की इसकी क्षमता। एक कंपनी की लाभप्रदता की डिग्री आमतौर पर आय विवरण पर आधारित होती है , जो कंपनी के संचालन के परिणामों पर रिपोर्ट करती है;
  2. सॉल्वेंसी - लंबी अवधि में लेनदारों और अन्य तीसरे पक्षों को अपने दायित्व का भुगतान करने की क्षमता ;
  3. तरलता - तत्काल दायित्वों को पूरा करते हुए सकारात्मक नकदी प्रवाह को बनाए रखने की इसकी क्षमता ;
  4. स्थिरता - अपने व्यवसाय के संचालन में महत्वपूर्ण नुकसान को सहन किए बिना, लंबे समय तक व्यवसाय में बने रहने की फर्म की क्षमता। कंपनी की स्थिरता का आकलन करने के लिए आय विवरण और बैलेंस शीट, साथ ही साथ अन्य वित्तीय और गैर-वित्तीय संकेतकों के उपयोग की आवश्यकता होती है।

2 और 3 दोनों कंपनी की बैलेंस शीट पर आधारित हैं , जो एक निश्चित समय में किसी व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को इंगित करता है।

वित्तीय विश्लेषक अक्सर वित्तीय अनुपात ( सॉल्वेंसी , लाभप्रदता , विकास, आदि) की तुलना करते हैं:

  • पिछला प्रदर्शन - एक ही फर्म के लिए ऐतिहासिक समय अवधि में (उदाहरण के लिए पिछले 5 वर्ष),
  • भविष्य का प्रदर्शन - वर्तमान और भविष्य के मूल्यों सहित ऐतिहासिक आंकड़ों और कुछ गणितीय और सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग करना, यह एक्सट्रपलेशन विधि वित्तीय विश्लेषण में त्रुटियों का मुख्य स्रोत है क्योंकि पिछले आंकड़े भविष्य की संभावनाओं के खराब भविष्यवक्ता हो सकते हैं।
  • तुलनात्मक प्रदर्शन - समान फर्मों के बीच तुलना।

इन अनुपातों की गणना बैलेंस शीट और/या आय विवरण से लिए गए खाते की शेष राशि (समूह) को विभाजित करके की जाती है , उदाहरण के लिए:

शुद्ध आय / इक्विटी = इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) शुद्ध आय / कुल संपत्ति = संपत्ति पर वापसी (आरओए) स्टॉक मूल्य / प्रति शेयर आय = पी/ई अनुपात

वित्तीय अनुपातों की तुलना करना वित्तीय विश्लेषण करने का केवल एक तरीका है। वित्तीय विश्लेषक प्रतिशत विश्लेषण का भी उपयोग कर सकते हैं जिसमें कुछ आधार राशि के प्रतिशत के रूप में आंकड़ों की एक श्रृंखला को कम करना शामिल है। [१] उदाहरण के लिए, वस्तुओं के एक समूह को शुद्ध आय के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। जब प्रतिशत के रूप में व्यक्त एक निश्चित समय अवधि में एक ही आंकड़े में आनुपातिक परिवर्तन क्षैतिज विश्लेषण के रूप में जाना जाता है। [2]

लंबवत या सामान्य आकार का विश्लेषण एक बयान पर सभी वस्तुओं को कुछ आधार मूल्य के प्रतिशत के रूप में "सामान्य आकार" तक कम कर देता है जो विभिन्न आकारों की अन्य कंपनियों के साथ तुलना करने में सहायता करता है। [३] नतीजतन, सभी आय विवरण आइटम बिक्री से विभाजित होते हैं, और सभी बैलेंस शीट आइटम कुल संपत्ति से विभाजित होते हैं। [४]

एक अन्य विधि तुलनात्मक विश्लेषण है। यह रुझानों को निर्धारित करने का एक बेहतर तरीका प्रदान करता है। तुलनात्मक विश्लेषण एक ही जानकारी को दो या दो से अधिक समयावधियों के लिए प्रस्तुत करता है और आसान विश्लेषण की अनुमति देने के लिए साथ-साथ प्रस्तुत किया जाता है। [५]

वित्तीय विश्लेषण के प्रकार - Types of Financial Analysis

वित्तीय विश्लेषण के प्रकार - Types of Financial Analysis

वित्तीय विश्लेषण के दो प्रमुख तरीके हैं -

(1) क्षैतिज विश्लेषण (Horizontal Analysis) – जब कई वर्षों के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण किया जाता है तो यह क्षैतिज विश्लेषण कहलाता है। इसमें प्रत्येक मद के वर्ष प्रति वर्ष के परिवर्तनों को दिखलाया जाता है। चूंकि यह विश्लेषण किसी एक वर्ष अथवा किसी एक लेखा - अवधि के समको पर आधारित न होकर कई वर्षों या अवधियों के समकों पर आधारित होता है, इसलिये इसे प्रावैकिंग विश्लेषण (Dynamic Analysis) भी कहते हैं। वित्तीय विवरण विश्लेषण की अनुपात विधि, कोष-प्रवाह विश्लेषण विधि, प्रवृत्ति विश्लेषण, तुलनात्मक विवरण आदि तकनीकें क्षैतिज विश्लेषण के ही उदाहरण हैं।

(2) लम्बवत् विश्लेषण (Vertical Analysis) – यह किसी एक तिथि के अथवा किसी एक लेखा - अवधि के विभिन्न मदों के आपसी संख्यात्मक सम्बन्ध का अध्ययन है। वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की औसत विश्लेषण तकनीक ऐसे ही विश्लेषण का उदाहरण है।

इसमें एक तिथि अथवा एक अवधि के विवरण के योग को 100 माना जाता है तथा उस विवरण की प्रत्येक पद का उसके योग से प्रतिशत सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। यह सम्बन्ध अनुपात विश्लेषण विधि से भी स्थापित किया जा सकता है। लम्बवत् विश्लेषण को स्थैतिक विश्लेषण (Static Analysis) भी कहते है।

यद्यपि विश्लेषण के लिये उपरोक्त दोनों विधियों का प्रयोग किया जा सकता है, प्रत्येक विधि एक विशिष्ट प्रकार की सूचना प्रदान करती है किन्तु इनमें से पहली विधि अधिक अच्छी है, क्योंकि लम्बवत् विश्लेषण के आधार व प्रयोग किये गये मद किसी में भी परिवर्तन आ जाने पर पूर्व निकाले गये प्रतिशत में परिवर्तन आ सकता है। इसके अतिरिक्त इसमें भूतकाल के सन्दर्भ में स्थिति का विवेचन नहीं किया जा सकता है। कई वर्षों के लगातार अध्ययन के पश्चात् ही आगणित समंक तुल्य हो सकते हैं। क्षैतिज विश्लेषण इन दोनों दोषों से मुक्त है। अतः यह विश्लेषण के लिये अधिक उपयुक्त है।

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